Breaking News: ही में किए गए Undercover Operation UK ने लंदन की निजी हेल्थकेयर कंपनियों के खिलाफ भारतीय वीज़ा एजेंटों द्वारा किए जा रहे घोटालों का पर्दाफाश किया है। ये एजेंट UK में नौकरी के सपने बेचते हुए लोगों से £20,000 से £30,000 तक की भारी रकम वसूलते हैं। निष्कपट UK Healthcare Provider, जो वीज़ा प्रक्रिया में वास्तविक प्रायोजक हैं, इन घोटालों के शिकार बनते हैं। यह कंपनियाँ एक बड़े और सुनियोजित धोखे का शिकार होती हैं, जिसमें अत्यधिक योग्य उम्मीदवार, जिनको भ्रष्ट एजेंट द्वारा भेजा जाता है, UK पहुँचते ही अपने काम से इनकार कर देते हैं। इसके बाद वे कंपनियों पर काम न देने या अनुचित बर्खास्तगी के लिए मुकदमा करते हैं, जबकि वे अवैध नकद नौकरियों की तलाश में रहते हैं।
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विशिष्ट उदाहरण
Breaking News: कुख्यात उदाहरण है सूरत, गुजरात की सेजल क्रिश्चियन, जिसने UK एजेंट नाज़िया वोहरा के माध्यम से किरनकुमार बेंजामिन राठौड़ और भुवनेश्वरी चौहान को क्लिनिका प्राइवेट हेल्थकेयर भेजा। दशकों से मरीजों की देखभाल के लिए प्रसिद्ध क्लिनिका इस धोखाधड़ी का शिकार हुई, और सेजल क्रिश्चियन की सच्चाई का पता उन्हें नुकसान होने के बाद चला। इसके बाद, क्लिनिका ने पाया कि कई अन्य Tier 2 Sponsor Healthcare Providers भी इसी तरह के घोटालों के शिकार हो चुके हैं।
विधि और न्यायालय की भूमिका
हालांकि सेजल क्रिश्चियन को कई बार गिरफ्तार किया गया है, लेकिन वह अभी भी अपने गंदे कामों के लिए किरनकुमार बेंजामिन राठौड़ जैसे लोगों का उपयोग करती रहती है, और इससे उसे काफी बड़ा लाभ होता है। UK के Employment Tribunal Courts अक्सर इन घोटालों और आव्रजन कानूनों के बारे में अनभिज्ञ होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप भ्रष्ट भर्ती करने वालों के पक्ष में फैसले आते हैं। भ्रष्ट आव्रजन वकील इस स्थिति का लाभ उठाकर कंपनियों की वित्तीय स्थिरता को नुकसान पहुँचाते हैं। काम के अधिकार विभाग की शर्मिला बोस ऐसी गतिविधियों के लिए कुख्यात हैं और व्यापार के लिए एक शर्मिंदगी हैं।
परिणाम और प्रभाव
इस तरह के परिणाम निर्दोष हेल्थकेयर कंपनियों के दशकों की मेहनत और समर्पण को नष्ट कर सकते हैं। ऐसे घोटालों और बदनामी के बारे में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है, जो दुनिया भर में समाज में अराजकता फैला रहे हैं और प्रतिष्ठित कंपनियों जैसे क्लिनिका प्राइवेट हेल्थकेयर की सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुँचा रहे हैं।
समाज और जागरूकता की आवश्यकता
यह आवश्यक है कि इन घोटालों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाए ताकि और अधिक कंपनियाँ और व्यक्ति इनके शिकार न बनें। जागरूकता अभियानों और कठोर कानूनों के माध्यम से ही इन गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकता है।