क्या मुस्लिम महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा कर सकती हैं? इस पर Telangana Highcourt का क्या है आदेश!

Telangana Highcourt ने शिया मुसलमानों के अखबारी संप्रदाय की महिलाओं को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने हैदराबाद के दारुलशिफा में स्थित इबादतखाने (मस्जिद) में इन महिलाओं को नमाज अदा करने के अधिकार को बरकरार रखा है। अखबारी समुदाय की महिलाओं के एक संगठन की याचिका पर यह फैसला दिया गया है, जिसमें मांग की गई थी कि अखबारी समुदाय की महिलाओं को मस्जिदों में जश्न, नमाज और बाकी धार्मिक कामों में शामिल होने की अनुमति दी जाए।

याचिका और विवाद

यह याचिका अंजुमने अलवी शिया इमामिया इत्ना अशरी अख़बारी रजिस्टर्ड सोसायटी ने दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने शिया मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में धार्मिक गतिविधियों में शामिल करने की मांग की थी। इस याचिका के खिलाफ तेलंगाना वक्फ बोर्ड ने अपनी आपत्ति जताई थी।

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याचिकाकर्ता सोसायटी ने पहले अक्टूबर 2023 में तेलंगाना राज्य वक्फ बोर्ड से शिया मुस्लिम महिलाओं को धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति मांगी थी। वक्फ बोर्ड से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ता के वकील पी. वेणुगोपाल ने तर्क दिया कि अखबारी संप्रदाय की महिलाओं को मस्जिद आने से रोकना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25(1) में मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, जो समानता और धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं।

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वक्फ बोर्ड का तर्क

वक्फ बोर्ड की ओर से एडवोकेट अबू अकरम ने कहा कि धार्मिक भावनाओं और पुरानी परंपराओं का सम्मान किया जाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने इसके लिए किसी विशिष्ट धार्मिक ग्रंथ का हवाला नहीं दिया।

अदालत का निर्णय

मामले की सुनवाई जस्टिस नागेश भीमपाका कर रहे थे। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि पवित्र कुरान में महिलाओं को नमाज के लिए इबादत खाने में जाने से मना नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, ‘सूरः 2 अल बकरा: 222-223 से यह साफ होता है कि एक विशेष समय को छोड़कर, जिसे प्रकृति के अनुसार महिलाओं के लिए आराम का समय माना गया है, उन्हें नमाज पढ़ने पर रोक नहीं है।’

जस्टिस भीमपाका ने सुप्रीम कोर्ट के 2018 के ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर मामले का हवाला दिया, जिसमें महिलाओं के पूजा स्थलों में प्रवेश के अधिकार को बरकरार रखा गया था। फैसले में हाईकोर्ट ने वक्फ बोर्ड के 2007 के उस आदेश का भी जिक्र किया, जिसमें शिया मुस्लिमों के उसूली समुदाय की महिलाओं को मस्जिद के भीतर नमाज पढ़ने पर लगी रोक हटा दी गई थी। हाई कोर्ट ने कहा कि अखबारी संप्रदाय की महिलाओं को उसूली महिलाओं जैसी छूट नहीं मिलती है, तो यह भेदभाव होगा।

अंतरिम आदेश

दिसंबर 2023 में हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश जारी किया था, जिसमें महिलाओं को मस्जिद के भीतर नमाज के लिए जाने की अनुमति दी गई थी। इस आदेश के खिलाफ वक्फ बोर्ड ने फिर से कोर्ट का रुख किया था। हालिया फैसले में कोर्ट ने फिर अखबारी महिलाओं के अधिकारों को स्पष्ट कर दिया है।

इस ऐतिहासिक फैसले के बाद, यह स्पष्ट है कि शिया अखबारी संप्रदाय की महिलाएं भी मस्जिद में नमाज अदा कर सकती हैं और उन्हें धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने का पूरा अधिकार है।

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