Nepal में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। सूत्रों के अनुसार, नेपाल की प्रमुख विपक्षी पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ की सरकार से अपने मंत्रियों को वापस बुला लिया है। यह कदम देश में नई राजनीतिक समीकरणों के उभरने का संकेत देता है।
नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के बीच नया गठबंधन बनने की खबरें भी सामने आ रही हैं, जिससे देश की राजनीति में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
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सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। देउबा और ओली के बीच हो रही बैठक में इस समझौते को अंतिम रूप देने की तैयारी की जा रही है।
Nepal इस नए गठबंधन के तहत नेपाली कांग्रेस को 10 मंत्रालय और सीपीएन-यूएमएल को 9 मंत्रालय मिलेंगे। शेष 6 मंत्रालयों को साथ आने वाले अन्य दलों को देने की योजना बनाई जा रही है।
प्रचंड सरकार से सीपीएन-यूएमएल के मंत्रियों की वापसी के बाद, देश में राजनीतिक स्थिरता पर सवाल खड़े हो गए हैं। प्रचंड सरकार को अब नए गठबंधन के साथ समझौते करना होगा, ताकि सरकार को बचाया जा सके। यह गठबंधन सरकार के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन इससे देश में राजनीतिक अस्थिरता भी बढ़ सकती है।
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Nepal कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के बीच नए गठबंधन की खबर ने राजनीतिक विश्लेषकों को भी चौंका दिया है। देउबा और ओली के बीच लंबे समय से मतभेद रहे हैं, लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में दोनों नेताओं ने साथ आने का फैसला किया है। इस नए गठबंधन से नेपाल की राजनीतिक दिशा बदल सकती है और इससे आने वाले दिनों में सरकार के गठन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
प्रचंड सरकार को अब नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि उनके महत्वपूर्ण सहयोगी ने उनसे अलग होने का फैसला किया है। प्रचंड सरकार को अब अपने समर्थन आधार को मजबूत करना होगा और नई राजनीतिक रणनीतियों के साथ आगे बढ़ना होगा। यह देखा जाना बाकी है कि प्रचंड सरकार इस नई चुनौती का कैसे सामना करती है और क्या नए गठबंधन के साथ समझौते करने में सफल होती है।
Nepal की जनता अब उत्सुकता से देख रही है कि देउबा और ओली के बीच के समझौते से देश की राजनीति में क्या बदलाव आता है। यह नया गठबंधन न केवल सरकार की संरचना को बदल सकता है, बल्कि नेपाल के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।
आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह नया गठबंधन किस तरह से काम करता है और देश की राजनीति को किस दिशा में ले जाता है।
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