Nepal में पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश ने भयानक बाढ़ और भूस्खलन का रूप ले लिया है। इस आपदा के कारण अब तक 112 लोगों की जान जा चुकी है और 64 लोग अभी भी लापता हैं। काठमांडू घाटी सहित पूर्वी और मध्य नेपाल के कई हिस्सों में बाढ़ से भारी तबाही हुई है।
Nepal: सबसे अधिक प्रभावित काठमांडू घाटी
काठमांडू घाटी में सबसे ज्यादा 48 लोगों की मौत हुई है। बाढ़ ने करीब 195 मकान और आठ पुलों को बर्बाद कर दिया है, जबकि 45 लोग घायल हुए हैं। सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने लगभग 3,100 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उन्होंने काठमांडू घाटी में पिछले 40 से 45 सालों में इतनी विनाशकारी बाढ़ कभी नहीं देखी थी।
जलवायु परिवर्तन और बारिश का बढ़ता कहर
‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटेग्रेटेड माउनटेन डेवलेपमेंट’ (आईसीआईएमओडी) के जलवायु विशेषज्ञ अरुण भक्ता श्रेष्ठ ने कहा, “मैंने काठमांडू में पहले कभी इतनी बड़ी बाढ़ नहीं देखी।” आईसीआईएमओडी की रिपोर्ट के अनुसार, बागमती नदी अपने खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पूरे एशिया में बारिश के पैटर्न में बड़ा बदलाव हो रहा है, जिससे इस तरह की अप्रत्याशित आपदाएं हो रही हैं।
नेपाल में आया सैलाब… क्या सबकुछ बहा ले जाएगा!#NepalFloods | #Nepal pic.twitter.com/Z6IMmS6AZS
— NDTV India (@ndtvindia) September 29, 2024
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बाढ़ के कारण बर्बादी और जनजीवन ठप
नेपाल के कई हिस्सों में बाढ़ और भूस्खलन से जनजीवन ठप हो गया है। सैकड़ों मकान और पुल बह गए हैं, कई राजमार्ग और सड़कों को नुकसान पहुंचा है, जिससे हजारों लोग विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में कम दबाव की प्रणाली और मानसून की स्थिति के कारण नेपाल में असाधारण रूप से तेज बारिश हुई, जिसके चलते यह प्राकृतिक आपदा सामने आई।