paris paralympic: रेल हादसे में पैर गंवाया, परिवार वालों से मिली प्रेरणा और नितेश ने जीता गोल्ड

paris paralympic: करीब 15 साल पहले एक रेल हादसे में अपना पैर गंवाने के बाद भी नितेश लुहाच ने हार नहीं मानी। अपने परिवार से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने जीवन में आगे बढ़ने का दृढ़ संकल्प किया। आज उनकी मेहनत और आत्मविश्वास का परिणाम है कि paris paralympic में उन्होंने पुरुष एकल बैडमिंटन प्रतिस्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर पूरे देश का नाम रोशन किया।

यहां हमारे व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें

नितेश के गांव नांधा में गोल्ड जीतने के बाद पहली बार लौटने पर उनका भव्य स्वागत किया गया। बाढड़ा कस्बे में आयोजित एक सम्मान समारोह में एसडीएम सुरेश दलाल सहित कई संगठनों ने उन्हें सम्मानित किया। इस दौरान नितेश का विजयी जुलूस भी निकाला गया, जिसमें वे एक खुले वाहन में बैठकर डीजे के साथ कस्बे के मुख्य मार्गों से गुजरे। जुलूस क्रांतिकारी चौक पर समाप्त हुआ, जहां उन्होंने महाशय मंशाराम और महताब सिंह की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर स्थानीय सामाजिक संगठनों और अन्य लोगों ने उनका दिल खोलकर स्वागत किया और जश्न मनाया।

यहां हमारे ट्विटर से जुड़ें

नितेश ने कहा कि उनके सफर में चुनौतियां तो बहुत थीं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने बताया, “रेल हादसे के बाद जब मैंने अपना पैर खोया, तो जिंदगी मुश्किल हो गई थी, लेकिन मेरे परिवार के समर्थन और मेरे आत्मविश्वास ने मुझे आगे बढ़ने की ताकत दी। कड़ी मेहनत के दम पर मैंने यह गोल्ड मेडल जीता है।”

युवाओं के लिए संदेश देते हुए नितेश ने कहा, “कभी हार मत मानो। मेहनत से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। यदि आप मेहनत करते हैं, तो सफलता अवश्य मिलेगी।”

नितेश लुहाच की यह जीत न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। उनकी इस उपलब्धि से उन्होंने सभी को यह संदेश दिया है कि अगर आत्मविश्वास और मेहनत हो, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।

और पढ़ें

Share This Article
Exit mobile version