Northeast: गुरुवार को पूर्वोत्तर भारत के दस स्वायत्त परिषदों के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की। इस महत्वपूर्ण बैठक में आदिवासी स्वशासी निकायों के लंबित मुद्दों को हल करने के लिए गृह मंत्री से हस्तक्षेप की अपील की गई। प्रतिनिधिमंडल ने विशेष रूप से 125वें संविधान संशोधन विधेयक, 2019 पर चर्चा की, जो स्वायत्त परिषदों की वित्तीय स्थिति और अधिकारों से संबंधित है।
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प्रमोद बोरो, जो असम के बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (बीटीआर) के मुख्य कार्यकारी सदस्य हैं, के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने शाह को एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में उन्होंने अनुरोध किया कि 125वां संशोधन विधेयक संसद में आवश्यक संशोधनों के साथ पेश किया जाए और पारित किया जाए। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य स्वायत्त परिषदों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा के लिए एक वित्त आयोग की नियुक्ति करना है। इस आयोग के गठन से यह सुनिश्चित होगा कि स्वायत्त परिषदों को आवश्यक सहायता अनुदान मिले और करों के वितरण के साथ-साथ राज्यों की समेकित निधि से भी उचित सहायता प्राप्त हो सके।
प्रतिनिधिमंडल ने यह भी उल्लेख किया कि यदि वित्त आयोग गठित होता है, तो यह आयोग राज्य और जिला परिषदों के बीच करों के वितरण के तरीके और स्वायत्त परिषदों को मिलने वाली सहायता अनुदान के बारे में सिफारिशें करेगा। यह कदम स्वायत्त परिषदों की वित्तीय स्थिरता और प्रशासनिक दक्षता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
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गृह मंत्री अमित शाह ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि 125वें संविधान संशोधन विधेयक (2019) से संबंधित सभी मुद्दों पर एक महीने के भीतर समाधान निकाल लिया जाएगा। शाह ने कहा कि उनकी सरकार आदिवासी स्वशासी निकायों की समस्याओं को गंभीरता से लेती है और उन्हें निराकरण की दिशा में काम किया जाएगा।
स्वायत्त परिषदों के प्रतिनिधियों ने गृह मंत्री को बताया कि संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त परिषदों का गठन किया गया था, लेकिन कई मुद्दे लंबे समय से हल नहीं हुए हैं। वे आशा करते हैं कि केंद्रीय सरकार उनकी समस्याओं का समाधान शीघ्रता से करेगी, जिससे स्वायत्त परिषदों की कार्यक्षमता में सुधार हो सके और उनके विकास में तेजी आ सके।
गृह मंत्री अमित शाह की ओर से दिए गए आश्वासन के बाद, प्रतिनिधिमंडल ने उम्मीद जताई है कि इन मुद्दों का शीघ्र समाधान होगा और इससे पूर्वोत्तर भारत के आदिवासी समुदायों को राहत मिलेगी।
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