अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की राजधानी किंशासा की मकाला Jail में एक भयावह घटना घटित हुई, जब जेल में अचानक लगी आग का फायदा उठाकर कैदियों ने भागने की कोशिश की। इस दौरान जेल में अफरा-तफरी मच गई और कैदियों को रोकने के लिए पुलिस ने फायरिंग की। इस हादसे में 129 कैदियों की जान चली गई, जिनमें से 24 कैदियों की मौत गोली लगने से हुई, जबकि बाकी कैदियों की मौत धक्का-मुक्की और दम घुटने के कारण हुई। हालांकि, कोई भी कैदी जेल की सलाखें तोड़कर भागने में सफल नहीं हो पाया।
जेल ब्रेक की कोशिश और सरकार की प्रतिक्रिया
गृह मंत्री शबानी लुकू ने इस घटना की जानकारी अपने X हैंडल पर साझा करते हुए बताया कि कैदियों ने जेल ब्रेक की कोशिश की थी, जिसे नाकाम कर दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि आग सुबह करीब 2 बजे एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिस में लगी थी, जिसने फूड डिपो और अस्पताल को भी अपनी चपेट में ले लिया। आग में 60 लोग घायल हो गए। कैदियों ने इस आपातकालीन स्थिति का फायदा उठाकर भागने की कोशिश की, लेकिन जेल कर्मियों ने उन्हें रोकने के लिए फायरिंग की।
सरकार ने इस गंभीर घटना की जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। गृह मंत्री और आंतरिक मामलों के मंत्री जैक्विमिन शबानी ने आग, जेल ब्रेक, और फायरिंग की घटनाओं पर रिपोर्ट तलब की है। सरकार इस बात से चिंतित है कि इतनी बड़ी संख्या में कैदियों की मौत कैसे हुई और इसके पीछे किसकी लापरवाही थी।
जेल की स्थितियों पर सवाल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मकाला जेल में 1500 कैदियों की क्षमता है, लेकिन इस समय वहां लगभग 12,000 कैदी बंद थे। इनमें से कई कैदी ऐसे थे जिनके केस का ट्रायल अभी तक शुरू नहीं हुआ था। इस घटना ने कांगो सरकार को विपक्ष के निशाने पर ला दिया है, क्योंकि इस त्रासदी के लिए सरकार, पुलिस और जेल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
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गौरतलब है कि कांगो दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है, हालांकि यहां खनिज पदार्थों का भरपूर भंडार है। 30 जून 1960 को आजादी मिलने के बावजूद, कांगो आज भी गरीबी और अव्यवस्था से जूझ रहा है। सरकारें इस देश को गरीबी से बाहर निकालने में असफल रही हैं, जिससे इस तरह की घटनाएं और भी भयावह रूप ले लेती हैं।
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सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए सभी संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है और सुनिश्चित किया है कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों।
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