OMG: इस शहर में पानी की जगह लोग पी रहे हैं Coca Cola, जानें क्यों

मैक्सिको के चियापास शहर में पानी के बजाय Coca Cola पीने की एक अनोखी परंपरा विकसित हो गई है। यहां के लोग इतनी ज्यादा मात्रा में कोका-कोला का सेवन करते हैं कि कंपनी ने इस शहर में कोक की कीमतें भी पानी के बराबर कर दी हैं। आइए जानते हैं कि आखिर चियापास में ऐसा क्यों हो रहा है और इसके क्या प्रभाव हैं।

धार्मिक मान्यता से जुड़ी है Coca Cola की लोकप्रियता

कोका-कोला की शुरुआत चियापास में साल 1960 में हुई थी। कुछ ही समय में इस पेय की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि चियापास के धार्मिक नेताओं ने इसे धार्मिक सभाओं में शामिल कर लिया। फायरवॉटर की जगह, कोक को धार्मिक रस्मों में उपयोग किया जाने लगा और धीरे-धीरे यह पेय प्रसाद का हिस्सा बन गया। इस धार्मिक महत्व के कारण कोका-कोला शहर की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन गई।

Coca Cola की सस्ती कीमतें और बढ़ती लत

चियापास में कोका-कोला की एक प्लांट स्थापित होने के बाद, यहां कोक की कीमतें काफी कम हो गईं। इसके चलते शहर के लोगों को कोक आसानी से और सस्ते में उपलब्ध होने लगी। इस समय यहां की स्थिति ऐसी है कि हर व्यक्ति साल में लगभग 800 लीटर कोका-कोला पी जाता है।

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ऑडिटी सेंट्रल की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 50 वर्षों में कोका-कोला का इतना ज्यादा सेवन किया गया कि अब यह लोगों की आदत बन गई है। बच्चे, बुजुर्ग और जवान सब इस पेय के आदी हो चुके हैं। यहां हर व्यक्ति दिन में लगभग 2 लीटर कोका-कोला का सेवन करता है, जिससे पानी की जगह कोक पीने की आदत बन गई है।

स्वास्थ्य पर पड़ रहा है गंभीर प्रभाव

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कोका-कोला की लत के कारण चियापास के लोग अब गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। यहां के ज्यादातर लोग टाइप टू डायबिटीज से पीड़ित हैं, साथ ही अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी सामने आ रही हैं। यहां की स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि छह महीने के बच्चे भी कोका-कोला पीने लगे हैं।

सामाजिक और स्वास्थ्य समस्याओं का बढ़ता दायरा

चियापास में कोका-कोला की इस बढ़ती लत ने सामाजिक और स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ावा दिया है। जहां एक ओर यह पेय धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, वहीं दूसरी ओर इसके अत्यधिक सेवन ने लोगों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। इस शहर की यह अनोखी परंपरा अब एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसका समाधान आवश्यक है।

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चियापास के लोगों के लिए कोका-कोला अब केवल एक पेय नहीं, बल्कि उनकी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है। लेकिन इस लत के गंभीर परिणामों को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि लोग अपनी आदतों पर ध्यान दें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के प्रयास करें।

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विभोर अग्रवाल एक अनुभवी और समर्पित पत्रकार हैं, जो सभी प्रकार की खबरों को कवर करते हैं, चाहे वह स्थानीय हों या हाइपरलोकल। उनकी रिपोर्टिंग में सटीकता और विश्वसनीयता की झलक मिलती है। विभोर का मुख्य उद्देश्य हर महत्वपूर्ण समाचार को समझकर उसे अपने दर्शकों तक पहुँचाना है। उनकी मेहनत और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में एक विशेष पहचान दिलाई है।
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