Haryana Elections: हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अपनी जीत की उम्मीद है, लेकिन फिर भी राहुल गांधी आम आदमी पार्टी (AAP) से गठबंधन की बात क्यों कर रहे हैं? आइए जानें इसके पांच प्रमुख कारण:
राष्ट्रीय राजनीति की रणनीति
राहुल गांधी का फोकस केवल हरियाणा पर नहीं है, बल्कि वे इसे राष्ट्रीय राजनीति के संदर्भ में भी देख रहे हैं। अगर कांग्रेस हरियाणा में AAP के साथ गठबंधन करती है, तो यह इंडिया ब्लॉक के अन्य दलों को एक सकारात्मक संदेश देगा। इससे कांग्रेस की साख बढ़ेगी और छोटी पार्टियों के साथ रिश्ते भी मजबूत होंगे।
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दिल्ली और गुजरात के लिए पूर्व-निर्माण
हरियाणा में गठबंधन की कोशिश को राहुल गांधी की दिल्ली और गुजरात की रणनीति से जोड़ा जा रहा है। दिल्ली और गुजरात में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद, हरियाणा में गठबंधन की मंशा इन राज्यों में भी पार्टी की स्थिति सुधारने में मदद कर सकती है। इससे कांग्रेस की राष्ट्रीय स्तर पर छवि भी सुधरेगी।
एंटी-इनकंबेंसी का प्रभाव
हरियाणा में 2014 से बीजेपी की सरकार है, और 10 साल की एंटी-इनकंबेंसी के चलते जाट और किसान नाराज हैं। कांग्रेस को लगता है कि इस बार जीत की परिस्थितियां उनके पक्ष में हैं। लेकिन एंटी-इनकंबेंसी वोटों के बिखराव को रोकने के लिए AAP के साथ गठबंधन जरूरी हो सकता है।
बीजेपी की जमीनी रणनीति
बीजेपी हरियाणा में अपनी जमीनी रणनीति पर काम कर रही है और छोटे दलों के नेताओं को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस, जो कि छत्तीसगढ़ चुनाव के बाद सतर्क हो गई है, किसी भी तरह की चूक नहीं करना चाहती। AAP से गठबंधन करके कांग्रेस बीजेपी की रणनीति का मुकाबला करने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस में गुटबाजी की समस्या
कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थक और कुमारी शैलजा के समर्थक गुटों के बीच में गुटबाजी चल रही है। राहुल गांधी का AAP से गठबंधन की बात करना इस गुटबाजी को मैनेज करने और पार्टी के अंदर एकता बनाए रखने की कोशिश हो सकती है। इससे पार्टी की आंतरिक समस्याओं का समाधान हो सकता है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी का यह कदम कांग्रेस की चुनावी रणनीति को स्पष्ट करता है और उनकी भविष्य की योजनाओं को भी दिखाता है।