Anurag Thakur-Ranjita Ranjan का हमला, सांसद की परवरिश पर उठाए सवाल

Congress सांसद रंजीता रंजन और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के बीच हाल ही में एक नई विवादास्पद बहस शुरू हो गई है। अनुराग ठाकुर ने रंजीता रंजन की परवरिश पर सवाल उठाते हुए उन्हें अपनी बातों और विचारों पर चार बार सोचना पड़ेगा, ऐसा बयान दिया है। ठाकुर का यह बयान राजनीति के गलियारों में एक नई बहस का कारण बन गया है और कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने इस पर प्रतिक्रिया दी है।

अनुराग ठाकुर ने कहा कि रंजीता रंजन के हाल के बयानों और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे उनके पारिवारिक मूल्यों और परवरिश को लेकर सवाल खड़ा करते हैं। ठाकुर ने आरोप लगाया कि रंजन का राजनीतिक दृष्टिकोण और उनकी प्राथमिकताएं उनकी परवरिश को सही तरीके से दर्शाती नहीं हैं। उनका कहना है कि यदि रंजीता रंजन अपने विचारों और बयानों के पीछे का तर्क नहीं समझती हैं, तो उन्हें अपने मूल्यों पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है।

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इस बयान के बाद रंजीता रंजन ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ठाकुर के बयान को व्यक्तिगत हमला करार देते हुए कहा कि यह केवल राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का हिस्सा है और इसका उद्देश्य उनके कामकाज को कमजोर दिखाना है। रंजीता रंजन ने कहा कि अनुराग ठाकुर का यह बयान उनके व्यक्तिगत विचारों और नीतियों पर आधारित है, और इसे केवल एक राजनीतिक हमले के रूप में देखा जाना चाहिए।

रंजीता रंजन ने ठाकुर पर आरोप लगाया कि वे कांग्रेस के प्रति अपने राजनीतिक विरोध को व्यक्तिगत स्तर पर ले जा रहे हैं और ऐसा करके वे केवल देश की राजनीति को विभाजित कर रहे हैं। रंजन ने यह भी कहा कि राजनीति में इस तरह के व्यक्तिगत हमले और आरोप-प्रत्यारोप की संस्कृति को खत्म करने की जरूरत है।

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इस विवाद ने कांग्रेस और भाजपा के बीच की राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को एक नए मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। कई विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह के विवाद और व्यक्तिगत हमले भारतीय राजनीति के विकास में बाधा डालते हैं और इससे केवल जनता की समस्याएं नजरअंदाज होती हैं।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस तरह के विवादों से पार्टी नेताओं के बीच में एक-दूसरे के प्रति विश्वास की कमी बढ़ सकती है और यह देश की राजनीतिक स्थिरता को भी प्रभावित कर सकता है। इस स्थिति में, रंजीता रंजन और अनुराग ठाकुर के बीच के इस विवाद का प्रभाव भारतीय राजनीति पर लंबे समय तक रह सकता है और इसके परिणामस्वरूप भविष्य की चुनावी रणनीतियों पर भी असर पड़ सकता है।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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