हाल के कुछ सालों में, खासकर महामारी के बाद से, बॉलीवुड में एक नया चलन देखने को मिला है – सीक्वल फिल्मों का बढ़ता हुआ क्रेज. 2022 और 2023 में, कई सीक्वल फिल्मों ने शानदार सफलता हासिल की. 2018 की सुपरहिट फिल्म “केजीएफ: चैप्टर 1” की अगली कड़ी “केजीएफ: चैप्टर 2” पूरे भारत में सनसनी बन गई, जिसने रिकॉर्ड तोड़ते हुए दुनिया भर में ₹1200 करोड़ से ज्यादा की कमाई की. इसी तरह, 2015 की थ्रिलर फिल्म “दृश्यम” के सीक्वल “दृश्यम 2” को समीक्षकों की प्रशंसा और बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन मिला. 2007 की हॉरर-कॉमेडी “भूल भुलैया” की आध्यात्मिक सीक्वल और पहली फिल्म के 22 साल बाद आई “गदर 2” ने भी बॉक्स ऑफिस पर कमाल कर दिया.
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ऑरमैक्स मीडिया के आंकड़ों के अनुसार, फ्रेंचाइजी फिल्मों ने 2019 में भारतीय बॉक्स ऑफिस का 17% हिस्सा लिया था, लेकिन 2023 तक यह आंकड़ा बढ़कर 45% हो गया है. “हां, भारतीय फिल्म उद्योग में, खासकर महामारी के बाद से सीक्वल और फ्रेंचाइजी फिल्मों का दबदबा लगातार बढ़ रहा है। 15 जून 2024 तक ऑरमैक्स सिनेमैटिक्स की सबसे ज्यादा प्रतीक्षित हिंदी फिल्मों की सूची के अनुसार, भारत में नियमित सिनेमा देखने वालों के बीच सबसे ज्यादा इंतजार वाली फिल्मों में ‘स्त्री 2’, ‘पुष्पा 2: द रूल’, ‘हेरा फेरी 3’, ‘भूल भुलैया 3’, ‘वॉर 2’ और ‘सिंघम अगेन’ शामिल हैं – ये सभी या तो सीक्वल फिल्में हैं या किसी फ्रेंचाइजी का हिस्सा हैं।फ्रेंचाइजी की कई फिल्मों के सबसे ज्यादा प्रतीक्षित फिल्मों में शामिल होने का यह चलन तमिल और तेलुगु फिल्म उद्योगों पर भी लागू होता है,” ऑरमैक्स मीडिया के बिजनेस डेवलपमेंट (थियेट्रिकल) के प्रमुख संकेत कुलकर्णी ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया।
सीक्वल फिल्मों की सफलता और आने वाली फिल्मों को लेकर दर्शकों की बेताबी, ऐसे समय में जब ‘बड़े मियां छोटे मियां’, ’83’ और ‘शमशेरा’ जैसी बड़ी फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर असफलता मिली है, तो ये सवाल खड़े करता है: फिल्म निर्माताओं, वितरकों और दर्शकों को आखिर सीक्वल फिल्मों की तरफ इतना खींचता क्या है?
जानी-पहचानी दुनिया और पसंदीदा किरदार: सीक्वल का फंडा
फिल्म उद्योग के जानकारों का कहना है कि सीक्वल फिल्मों की सफलता का राज दर्शकों को जानी-पहचानी दुनिया और पसंदीदा किरदारों से मिलना, ब्रांड पहचान और पहले से बनी हुई दर्शक संख्या का फायदा उठाना है.
फिल्म निर्माता अमर कौशिक, जो हाल ही में आने वाली फिल्म ‘स्त्री 2’ के निर्देशक हैं, उनका मानना है कि सीक्वल फिल्में अपने आप में ही कहानी में निरंतरता और किरदारों के साथ पहले से जुड़ाव का एहसास दिलाती हैं. वो कहते हैं कि ये जानी-पहचानी दुनिया दर्शकों के लिए खतरे को कम करती है. वो ऐसी कहानी में समय और पैसा लगाने के लिए ज्यादा तैयार रहते हैं जिस पर उन्हें पहले से भरोसा होता है.
कौशिक अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहते हैं, “जब किसी सीक्वल की घोषणा होती है, तो दर्शक खुद को उस फिल्म से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं क्योंकि वो पहले भाग को पसंद कर चुके होते हैं. उन्हें लगता है कि ये फिल्म उनकी अपनी सी है. लोगों को एक उम्मीद हो जाती है सीक्वल से कि जितना मज़ा उन्हें पहले भाग को देखकर आया था, उतना ही मनोरंजक अगला भाग भी होगा और पैसे वसूल होंगे.”
“पसंदीदा किरदारों को वापस लौटते देखने की उत्सुकता और उनके नए सफर को जानने की जिज्ञासा सीक्वल फिल्मों को एक शानदार विकल्प बनाती है,” ऐसी राय है ‘गदर 2’ के निर्देशक अनिल शर्मा की. वो आगे कहते हैं, “दर्शकों के लिए, सीक्वल का आकर्षण उस जानी-पहचानी दुनिया और उन किरदारों से मिलने में होता है जिन्हें वो पसंद कर चुके होते हैं. ये उन्हें निरंतरता और कुछ नया देखने की उम्मीद का एहसास दिलाती है.”
सीक्वल बनाम ओरिजिनल फिल्में: क्या नई कहानियों की कमी है?
क्या सीक्वल फिल्मों की भरमार इसलिए है क्योंकि बड़े बजट की, ओरिजिनल फिल्मों की कमी है और दर्शक सिनेमाघरों तक नहीं खींचे जा पाते? व्यापार विशेषज्ञ तरण आदर्श इस बात पर जोर देते हुए कहते हैं, “ओरिजिनल स्क्रिप्ट की कोई कमी नहीं है.” वे आगे कहते हैं, “पठान और जवान जैसी फिल्मों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है.” साथ ही, वो ‘मैदान’ और ‘श्रीकांत’ जैसी बायोपिक्स का उदाहरण देते हैं, जो मूल कहानियों पर आधारित हैं और जिन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है. राठी ‘लापता लेडीज’, ‘एनिमल’ और ‘मुंज्या’ का हवाला देते हुए कहते हैं कि बॉक्स ऑफिस पर विभिन्न शैलियों की फिल्में अच्छा कर रही हैं, इस विचार को खारिज करते हुए कि दर्शक मूल कहानियों की ओर आकर्षित नहीं होते हैं.
तो फिर सीक्वल फिल्मों की सफलता का राज क्या है?
कोविड से पहले या बाद में ज्यादातर सीक्वल फिल्मों के हिट होने के कारणों पर बात करते हुए कौशिक, जिन्होंने ‘बाला’ (2019) और ‘भेड़िया’ (2022) जैसी फिल्में भी निर्देशित की हैं, कहते हैं, “सीक्वल बनाने का कोई निर्धारित फॉर्मूला नहीं है.” वे आगे कहते हैं, “सीक्वल बनाने के लिए सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि आप देखें कि क्या आपके पास दर्शकों को बताने के लिए (पहले भाग से) कोई कहानी बची है या नहीं.”
“साथ ही, मेरे लिए स्क्रिप्ट में ईमानदारी जरूरी है. मुझे [स्त्री] के सीक्वल के लिए 5-6 साल लग गए क्योंकि मुझे लगता है कि सिर्फ दर्शक ही नहीं, मुझे भी कहानी और किरदारों के ग्राफ को लेकर उत्साहित और खुश होना चाहिए. हालांकि, हर किसी की अपनी राय होती है.” वे आगे कहते हैं, “मुझे लगता है कि सीक्वल फिल्म बनाने वाले सभी फिल्म निर्माताओं को पहली फिल्म और उसके पात्रों के सार को बनाए रखना चाहिए.” अनिल शर्मा भी इस बात का समर्थन करते हुए कहते हैं, “किसी भी सीक्वल में किरदार और फिल्म का सार वही होना चाहिए, जो पहले भाग में था.”
क्या ये चलन जारी रहेगा?
कोविड से पहले और बाद में, सीक्वल फिल्मों की निर्विवाद सफलता उनके स्थायी आकर्षण और बाजार क्षमता को दर्शाती है. महामारी से पहले, ‘प्यार का पंचनामा 2’ (2015), ‘फुकरे रिटर्न्स’ (2017), ‘बाहुबली 2: द कन्क्लूजन’ (2017), ‘टाइगर जिंदा है’ (2017), और ‘बागी 2’ (2018) जैसी फिल्मों ने न केवल भारी दर्शक संख्या जुटाई बल्कि बॉक्स ऑफिस के नए रिकॉर्ड भी बनाए. महामारी के बाद भी यह चलन जारी रहा है, ‘केजीएफ: चैप्टर 2’ (2022), ‘दृश्यम 2’ (2022), ‘ड्रीम गर्ल 2’ (2023), और ‘गदर 2’ (2023) जैसी सीक्वल फिल्मों ने शानदार सफलता हासिल की है.
अब, आने वाली फिल्मों की लिस्ट में सीक्वल फिल्मों का बोलबाला है – ‘स्त्री 2’, ‘सिंघम अगेन’, ‘इंडियन 2’, ‘रेड 2’, ‘वॉर 2’, ‘भेड़िया 2’ – ये इस बात को साफ़ तौर पर दिखाता है कि सीक्वल सिर्फ एक चलन नहीं है बल्कि सिनेमा जगत का एक अहम हिस्सा बन चुका है. व्यापार विशेषज्ञ तरण आदर्श इस पर अपनी राय देते हुए कहते हैं, “सीक्वल बनाना एक बेहतरीन विचार है. हमने देखा है कि पिछले सालों में ज़्यादातर फ्रेंचाइजी और सीक्वल फिल्मों ने सफलता हासिल की है और ये चलन आगे भी जारी रहने वाला है.”