Sheetal devi paralympic Medallist के रूप में पेरिस 2024 में भारत की सबसे युवा पदक विजेता बनीं। जानिए उनके संघर्ष और ऐतिहासिक जीत की पूरी कहानी।
पेरिस 2024 पैरालंपिक खेलों में इतिहास रचने वाली भारतीय तीरंदाज शीतल देवी का नाम देश की खेल जगत में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो चुका है। शीतल ने अपने साहस, दृढ़ता और अदम्य इच्छाशक्ति के साथ न केवल अपनी व्यक्तिगत चुनौतियों को पार किया, बल्कि पेरिस में एक उल्लेखनीय जीत हासिल कर भारत के लिए एक ऐतिहासिक पदक जीता। शीतल Devi की यात्रा संघर्षों, प्रेरणाओं और कठिन परिस्थितियों का मिश्रण रही है, जो उन्हें आज पैरालंपिक खेलों की सबसे युवा भारतीय पदक विजेता बनाती है।
Sheetal devi paralympic Medallist: एक ऐतिहासिक उपलब्धि
17 साल, 7 महीने और 23 दिन की उम्र में शीतल भारत की सबसे युवा पैरालंपिक पदक विजेता बन गईं। उन्होंने अपने साथी राकेश कुमार के साथ मिलकर इटली की एलोनोरा सार्टी और माटेओ बोनासिना को 156-155 के स्कोर से हराकर यह ऐतिहासिक जीत हासिल की।
जम्मू-कश्मीर की रहने वाली शीतल देवी का सफर प्रेरणादायक रहा है। बिना हाथों के जन्म लेने के बावजूद, उन्होंने आर्चरी जैसे चुनौतीपूर्ण खेल में महारत हासिल की और खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साबित किया। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत मेहनत और संघर्ष की कहानी है, बल्कि यह भारतीय खेल जगत के लिए भी गर्व का क्षण है।
पेरिस 2024 में शीतल की जीत ने भारतीय पैरालंपिक दल के लिए नया कीर्तिमान स्थापित किया। इससे पहले, प्रवीण कुमार ने टोक्यो 2020 में 18 साल की उम्र में पुरुष हाई जंप T64 इवेंट में सिल्वर मेडल जीतकर सबसे युवा भारतीय पदक विजेता का रिकॉर्ड बनाया था, जिसे अब शीतल देवी ने तोड़ दिया है।
शीतल की यह जीत भारतीय खेल इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गई है और उनके साहस और संघर्ष ने उन्हें आज एक प्रेरणा स्रोत बना दिया है।
Sheetal devi paralympic Medallist: शीतल देवी की प्रेरणादायक कहानी
Sheetal devi paralympic Medallist की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणादायक है। जम्मू-कश्मीर के एक छोटे से गाँव से आने वाली शीतल ने अद्वितीय प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए भारतीय खेल जगत में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज किया है। बिना हाथों के जन्म लेने के बावजूद, शीतल ने अपनी मेहनत, साहस और दृढ़ संकल्प से तीरंदाजी (आर्चरी) जैसे चुनौतीपूर्ण खेल में खुद को साबित किया।
शीतल का यह सफर आसान नहीं रहा। बचपन से ही उन्होंने अपने शारीरिक सीमाओं को पीछे छोड़ते हुए अपनी क्षमताओं पर भरोसा किया। खेलों के प्रति उनके जुनून और समर्पण ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। उन्होंने पारंपरिक और कठिन चुनौतियों का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। उनके आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम का परिणाम था कि उन्होंने पैरालंपिक खेलों में अपनी अद्वितीय प्रतिभा का प्रदर्शन किया और कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
Sheetal devi paralympic Medallist शीतल देवी की यह उपलब्धि केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता नहीं है, बल्कि यह सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है जो अपने जीवन में बाधाओं का सामना कर रहे हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि संघर्षों और चुनौतियों के बावजूद, अगर मन में दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। उनकी यह जीत जम्मू-कश्मीर और पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है।
Sheetal devi paralympic Medallist:अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन
Sheetal devi paralympic Medallist पेरिस 2024 पैरालिंपिक में भारत ने अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन किया, जिसमें 7 गोल्ड, 9 सिल्वर और 13 कांस्य पदकों के साथ कुल 29 पदक हासिल किए। इस बेहतरीन प्रदर्शन ने भारत को वैश्विक स्तर पर पैरालंपिक खेलों में एक नई पहचान दिलाई। टोक्यो 2020 में 19 पदकों के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए, भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत और लगन से इतिहास रचा। इसमें शीतल देवी की कांस्य पदक जीतने की उपलब्धि ने भारतीय दल की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया |