Spright Agro Fraud: भारत के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक के केंद्र में है। ₹4,675 करोड़ का यह घोटाला हजारों निवेशकों को बेकार शेयरों के साथ छोड़ गया, जबकि अंदरूनी लोग नियमों की कमजोरियों का फायदा उठाकर और अवैध स्टॉक मूल्य हेरफेर करके लाभ कमाते रहे।
घोटाले की शुरुआत
यह घोटाला 2021 में शुरू हुआ, जब स्प्राइट एग्रो लिमिटेड, जो पहले टाइन एग्रो लिमिटेड के नाम से जानी जाती थी, को नए प्रबंधन ने अपने नियंत्रण में ले लिया। इन स्टॉक ऑपरेटरों ने मौजूदा नेतृत्व को हटा दिया और उनकी जगह शेल कंपनियों से जुड़े व्यक्तियों को नियुक्त किया। 2023 में, कंपनी ने अपना नाम बदलकर स्प्राइट एग्रो लिमिटेड कर लिया, ताकि इसे एक नई निवेश संभावना के रूप में प्रस्तुत किया जा सके।
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अंदरूनी लोगों ने कम कीमतों पर शेयर खरीदे और फिर भारी मात्रा में ट्रेड और सर्कुलर ट्रेडिंग की तकनीकों का उपयोग करके स्टॉक की कीमत बढ़ा दी। वास्तविक व्यापार वृद्धि के बिना भी, स्प्राइट एग्रो के शेयर की कीमत ₹5 से बढ़कर ₹55.41 हो गई, जिससे अनजान निवेशक आकर्षित हुए।
घोटाला कैसे सामने आया
Spright Agro Fraud: अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच, सोशल मीडिया प्रभावशाली और पेड एनालिस्टों ने स्प्राइट एग्रो को एक आकर्षक “मल्टीबैगर स्टॉक” के रूप में प्रचारित किया। खुदरा निवेशक अत्यधिक कीमतों पर शेयर खरीदने में जुट गए। जब स्टॉक अपने चरम पर पहुंचा, तो अंदरूनी लोगों ने अपनी होल्डिंग्स बेच दीं, जिससे कीमत जनवरी 2025 में ₹6.77 तक गिर गई।
इस तेज गिरावट ने कई निवेशकों को भारी नुकसान में छोड़ दिया, जबकि घोटालेबाज भारी मुनाफा लेकर भाग निकले।
नियामक नजरअंदाजी और कार्रवाई की जरूरत
इस मामले ने मौजूदा नियामक प्रणाली में गंभीर कमजोरियों को उजागर किया। स्प्राइट एग्रो के प्रबंधन ने शेल कंपनियों, अंदरूनी व्यापार और फर्जी वित्तीय रिपोर्टों का उपयोग करके निवेशकों और अधिकारियों को धोखा दिया। इन चेतावनी संकेतों के बावजूद, नियामक संस्थाएं इस घोटाले को रोकने में असफल रहीं।
क्या बदलाव जरूरी है
Spright Agro Fraud: बाजार नियामकों को ऐसी कमजोरियों को दूर करना होगा, जिनकी वजह से यह घोटाला संभव हुआ। कड़ी निगरानी, बेहतर पारदर्शिता, और सख्त दंड जरूरी हैं ताकि भविष्य में ऐसे घोटालों को रोका जा सके। खुदरा निवेशकों को भी सावधान रहना चाहिए, खासकर जब ऑनलाइन प्रचारित स्टॉक्स में वास्तविक वृद्धि या प्रदर्शन का ठोस प्रमाण न हो।
स्प्राइट एग्रो लिमिटेड द्वारा किया गया ₹4,675 करोड़ का यह घोटाला नियामकों और निवेशकों दोनों के लिए एक चेतावनी है। तत्काल और प्रभावी कार्रवाई के बिना, इस प्रकार के घोटाले वित्तीय बाजारों में विश्वास को कमजोर करते रहेंगे।