Subhash Chandra Bose Death Anniversary: 18 अगस्त 1945 का दिन भारतीय इतिहास में एक गहरे रहस्य के रूप में दर्ज है। यह वह दिन था जब दावा किया गया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का विमान लापता हो गया था और इस हादसे में उनकी मृत्यु हो गई थी। हालांकि, इस घटना की जांच के लिए गठित जस्टिस मुखर्जी कमीशन ने इस हादसे को ही खारिज कर दिया था। यहां तक कि महात्मा गांधी ने भी माना था कि नेताजी जिंदा हैं और कहीं छिपे हुए हैं। आइए जानते हैं इस रहस्यमय घटना का पूरा सच।
विमान हादसे का दावा और टोक्यो रेडियो की रिपोर्ट
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विमान के लापता होने की खबर के पांच दिन बाद, टोक्यो रेडियो ने एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें कहा गया था कि नेताजी का विमान ताईवान में क्रैश हो गया था, जिसमें वह बुरी तरह जल गए थे। उन्हें ताईपेई के सैन्य अस्पताल ले जाया गया, जहां दो दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि विमान में सवार सभी यात्री इस हादसे में मारे गए।
नेताजी की मृत्यु के सच की खोज: तीन कमेटियों की जांच
नेताजी की मृत्यु की सच्चाई जानने के लिए भारत सरकार ने तीन कमेटियों का गठन किया। इनमें से दो कमेटियों ने निष्कर्ष निकाला कि नेताजी की मृत्यु विमान हादसे में ही हुई थी। लेकिन 1999 में बनाई गई तीसरी कमेटी की रिपोर्ट ने सभी को हैरान कर दिया।
मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट: क्या वास्तव में कोई हादसा हुआ?
जस्टिस मनोज कुमार मुखर्जी के नेतृत्व में बनाई गई इस आयोग की रिपोर्ट में दावा किया गया कि 1945 में जिस विमान हादसे की बात कही जा रही थी, ऐसा कोई हादसा हुआ ही नहीं था। आयोग ने बताया कि इस घटना का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है, न ही ताईपेई के उस आर्मी अस्पताल का कोई प्रमाण है जहां नेताजी की मृत्यु होने का दावा किया गया था। आयोग ने यह भी कहा कि जापान के मंदिर में रखे गए अवशेष नेताजी के नहीं हैं।
महात्मा गांधी का विश्वास: नेताजी की मृत्यु नहीं हुई
जुलाई 1996 में भाजपा के डॉ. मुरली मनोहर जोशी और जॉर्ज फर्नांडीज ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस मुखर्जी कमीशन की रिपोर्ट के निष्कर्षों का खुलासा किया। इसमें बताया गया कि महात्मा गांधी ने नेताजी की विमान दुर्घटना में मृत्यु की खबर मिलने पर कहा था कि उन्हें विश्वास है कि सुभाष चंद्र बोस अभी जीवित हैं और सही समय पर प्रकट होंगे।
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1946 की एक खुफिया रिपोर्ट में भी कहा गया कि महात्मा गांधी ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि बोस छिपे हुए हैं। हालांकि, उन्होंने अपने इस विश्वास का कोई ठोस कारण नहीं बताया। कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि गांधीजी को आंतरिक गुप्त जानकारी मिली थी, जिसके आधार पर उन्होंने यह बात कही थी।
मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट पर सरकार का रुख
मुखर्जी आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यूपी के फैजाबाद में रहने वाले गुमनामी बाबा और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बीच काफी समानताएं बताई थीं। कुछ लोगों ने दावा किया था कि गुमनामी बाबा, नेताजी से मिलते-जुलते थे। हालांकि, केंद्र सरकार ने मुखर्जी आयोग की इस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया था।
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु से जुड़ी यह घटना भारतीय इतिहास के सबसे बड़े रहस्यों में से एक है। आज भी यह सवाल बना हुआ है कि नेताजी की वास्तविकता क्या थी—क्या वाकई उनकी मृत्यु 1945 में हुई थी, या वह कहीं छिपे हुए थे? इस रहस्य का जवाब आज भी ढूंढ़ा जा रहा है।
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