Teachers Day 2024: इतिहास के 5 महान शिक्षक जिन्होंने देश को दी नई राह, कब और क्यों मनाया गया पहला शिक्षक दिवस?

शिक्षक हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे हमें ज्ञान, मूल्यों और सही दिशा दिखाने का कार्य करते हैं। Teachers Day 2024, जो हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है, उन्हें सम्मानित करने और उनके योगदान को स्वीकार करने का एक विशेष अवसर है। इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में विशेष आयोजन होते हैं, जहां छात्र अपने शिक्षकों को तोहफे और शुभकामनाएं देते हैं। साथ ही, यह दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जिनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

कौन थे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन?

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुत्तनी गांव में हुआ था। वे भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति बने थे। लेकिन, उनके योगदान का सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने में था। वे एक महान शिक्षक, स्कॉलर और दार्शनिक थे। डॉ. राधाकृष्णन मानते थे कि शिक्षा का असली अर्थ मानवता, प्रेम और समानता का ज्ञान होना चाहिए। उन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली को एक नई दिशा दी और अपने जीवन के अंतिम समय तक शिक्षा के क्षेत्र में काम करते रहे।

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पहला शिक्षक दिवस और इसका महत्व

भारत में पहली बार शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया था, जब डॉ. राधाकृष्णन राष्ट्रपति बने थे। तभी से हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह हमें उन गुरुओं को सम्मान देने का मौका देता है, जिन्होंने हमारे जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शिक्षक हमारे जीवन को एक दिशा प्रदान करते हैं और हमें चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करते हैं।

भारत के पांच महान शिक्षक

1. सावित्रीबाई फुले: सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए पूरे देश में अभियान चलाया और कई स्कूलों की स्थापना की। उनके योगदान के कारण ही आज भारत में महिला शिक्षा का स्तर इतना ऊंचा है।

2. रवीन्द्रनाथ टैगोर: रवीन्द्रनाथ टैगोर एक महान कवि, साहित्यकार और शिक्षक थे। उन्होंने शिक्षा प्रणाली में सिर्फ किताबी ज्ञान पर जोर नहीं दिया, बल्कि शारीरिक और मानसिक विकास को भी महत्व दिया। उनकी शिक्षा पद्धति आज भी प्रासंगिक है।

3. मदनमोहन मालवीय: मदनमोहन मालवीय ने एशिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी बीएचयू की स्थापना की थी। उन्होंने भारतीय संस्कृति और मातृभाषा के प्रति समर्पण का संदेश दिया और ‘सत्यमेव जयते’ का नारा दिया, जो आज भी भारतीय संविधान का हिस्सा है।

4. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एक सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने हमेशा छात्रों को प्रेरित किया और शिक्षा में स्किल्स के महत्व को बताया। उनके उपदेश आज भी छात्रों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

5. स्वामी विवेकानंद: स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा के क्षेत्र में गुरुकुल प्रणाली को प्रोत्साहित किया और समाज सुधारक के रूप में काम किया। उनका मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू को समझने और उसे सुधारने में सहायक होना चाहिए।

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शिक्षक दिवस न केवल शिक्षकों के योगदान को मान्यता देने का दिन है, बल्कि यह हमें यह याद दिलाता है कि एक अच्छा शिक्षक ही समाज को बेहतर बना सकता है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के आदर्शों को अपनाते हुए हमें अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए। उनके योगदान को सम्मानित करना हमारा कर्तव्य है, क्योंकि वही हमें जीवन की दिशा दिखाते हैं।

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विभोर अग्रवाल एक अनुभवी और समर्पित पत्रकार हैं, जो सभी प्रकार की खबरों को कवर करते हैं, चाहे वह स्थानीय हों या हाइपरलोकल। उनकी रिपोर्टिंग में सटीकता और विश्वसनीयता की झलक मिलती है। विभोर का मुख्य उद्देश्य हर महत्वपूर्ण समाचार को समझकर उसे अपने दर्शकों तक पहुँचाना है। उनकी मेहनत और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में एक विशेष पहचान दिलाई है।
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