Vaalmeeki Nigam Ghotaala में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में अब तक के सबसे बड़े खुलासे हुए हैं। इस घोटाले में शामिल आरोपियों से 16 किलो सोना और 2.5 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई है। सत्यनारायण वर्मा और काकी श्रीनिवास राव के घरों से भारी मात्रा में सोना और नकदी बरामद की गई है।
सत्यनारायण वर्मा और काकी श्रीनिवास राव की संपत्ति
सत्यनारायण वर्मा के घर से 15 किलो सोना बरामद किया गया है। वर्मा ने जांच के दौरान कबूल किया कि उसने अपराध से प्राप्त धन से लम्बर्गिनी कार खरीदी थी। इसके अलावा, वर्मा ने अवैध धन से कई फ्लैट भी खरीदे थे। वहीं, काकी श्रीनिवास राव के पास से एक किलो सोना बरामद किया गया है।
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घोटाले का विवरण
जानकारी के अनुसार, वाल्मीकि कॉर्पोरेशन घोटाला लगभग 187.33 करोड़ रुपये का है। इस घोटाले में सरकारी खजाने में जमा 40 करोड़ रुपये सहित विभिन्न खातों में रखे गए पैसे को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की एमजी रोड शाखा में भेज दिया गया था। इस राशि में से 88.63 करोड़ रुपये अवैध रूप से 18 फर्मों सहित तेलंगाना में कम से कम 217 विभिन्न बैंक खातों में स्थानांतरित किए गए थे।
आत्महत्या और सुसाइड नोट
इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए गए पूर्व मंत्री बी नागेंद्र न्यायिक हिरासत में हैं। यह घोटाला तब प्रकाश में आया जब निगम के लेखा अधीक्षक चन्द्रशेखरन पी ने आत्महत्या कर ली। अपने सुसाइड नोट में लेखा अधीक्षक ने विस्तार से बताया कि पैसे कैसे ट्रांसफर किए गए और घोटाले में निगम और बैंक अधिकारियों की भूमिका क्या थी।
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राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस घोटाले को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। विपक्षी भाजपा ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पर घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया है। भाजपा का आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की जानकारी के बिना पैसे ट्रांसफर नहीं हो सकते। हालांकि, मुख्यमंत्री ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
निष्कर्ष
वाल्मीकि निगम घोटाले ने सरकारी भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया है। प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई और आरोपियों से बरामद संपत्ति इस घोटाले की गंभीरता को दर्शाती है। इस घोटाले ने न केवल सरकारी अधिकारियों की संलिप्तता को सामने लाया है, बल्कि राजनीतिक दलों के बीच भी टकराव को बढ़ा दिया है। आगे की जांच और कानूनी कार्रवाई से घोटाले की सच्चाई सामने आने की उम्मीद है।
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