2003 में नासा द्वारा Mars से जारी की गई तस्वीरों ने दुनिया भर में हलचल मचा दी थी। इन तस्वीरों में मंगल की सतह पर मकड़ी जैसी आकृतियां दिखाई दी थीं, जिससे यह सवाल उठने लगे थे कि क्या मंगल पर जीवन संभव है?
क्या वास्तव में मंगल पर मकड़ियां हैं, या ये आकृतियां किसी अन्य प्राकृतिक घटना का परिणाम थीं? 20 साल बाद, इन सवालों के जवाब अब सामने आ चुके हैं।
मकड़ी जैसी इन आकृतियों को वैज्ञानिकों ने “एरेनिफॉर्म” नाम दिया है, जो विशेष रूप से मंगल ग्रह के दक्षिणी गोलार्ध (साउथ पोल) पर पाई गई थीं। ये संरचनाएं लगभग आधी मील तक फैली हुई थीं और इनसे सैकड़ों शाखाएं निकली हुई थीं।
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हालांकि, यह स्पष्ट हो गया है कि ये आकृतियां किसी जीवित मकड़ी के कारण नहीं, बल्कि मंगल की सतह पर मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड बर्फ के कारण बनी थीं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, सर्दियों के दौरान जब सूर्य की रोशनी कार्बन डाइऑक्साइड बर्फ से होकर गुजरती है, तो यह बर्फ सीधे भाप बन जाती है। इस प्रक्रिया को “सब्लिमेशन” कहा जाता है। भाप बनने की प्रक्रिया के दौरान मंगल की मिट्टी गर्म हो जाती है और सतह पर मकड़ी जैसी आकृतियां उभरने लगती हैं। कार्बन डाइऑक्साइड बर्फ पृथ्वी पर नहीं पाई जाती, लेकिन मंगल पर इसके सबूत मिलने से इन रहस्यमयी आकृतियों का कारण समझ में आ गया है।