केंद्र सरकार ने Waqf बोर्ड की संपत्तियों को लेकर नया कानून लाने का निर्णय लिया है। कैबिनेट की मीटिंग में वक्फ से जुड़े कानून में चालीस तरह के बदलाव करने पर फैसला हुआ। संभावना है कि सोमवार को मोदी सरकार संसद में संशोधन बिल प्रस्तुत कर सकती है। इस बिल के प्रस्ताव से पहले ही सियासी माहौल गरमा गया है। कई मुस्लिम संगठन इस बिल के खिलाफ सामने आ गए हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का विरोध
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ एक्ट में किसी भी बदलाव का कड़ा विरोध किया है। बोर्ड की ओर से कहा गया है कि वक्फ एक्ट 2013 में कोई भी ऐसा बदलाव जिससे संपत्तियों की हैसियत और प्रकृति बदल जाए या उन्हें हड़पना सरकार या किसी व्यक्ति के लिए आसान हो जाए, स्वीकार्य नहीं होगा। साथ ही, बोर्डों के अधिकारों को कम या सीमित करने को भी कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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Waqf का अर्थ और महत्व
वक्फ का मतलब होता है ‘अल्लाह के नाम’, यानी ऐसी जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं होतीं, लेकिन मुस्लिम समाज से संबंधित होती हैं। इसमें मस्जिद, मदरसे, कब्रिस्तान, ईदगाह, मजार और नुमाइश की जगहें आदि शामिल होती हैं। समय के साथ देखा गया कि इन जमीनों का गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है और इन्हें बेचा जा रहा है। वक्फ बोर्ड इन जमीनों के नियंत्रण के लिए बनाया गया था ताकि बेजा इस्तेमाल और गैर कानूनी बिक्री को रोका जा सके।
Waqf के प्रकार
Waqf को मुख्य रूप से दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है:
- वक्फ अलल औलाद: ये वो जमीनें होती हैं जो किसी व्यक्ति ने मुस्लिम समाज के कल्याण के लिए दान दी हों। इनका मैनेजमेंट दानदाता के परिवार के पास होता है, लेकिन इसे बेचा नहीं जा सकता।
- वक्फ अलल खैर: इन जमीनों का कोई मालिक नहीं होता और ये वक्फ बोर्ड के अधीन होती हैं। बोर्ड किसी व्यक्ति को इसका मैनेजर (मुतवल्ली) नियुक्त करता है, जो इसे समाजहित में इस्तेमाल करता है।
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उत्तर प्रदेश में Waqf की संपत्तियां
उत्तर प्रदेश में Waqf की संपत्तियों की बड़ी संख्या है:
- सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास 1,23,000 जमीनें हैं।
- शिया वक्फ बोर्ड के पास कुल 3102 जमीनें हैं।
आगामी सियासी दांव-पेच
केंद्र सरकार के इस नए कदम के बाद सियासी दांव-पेच शुरू हो गए हैं। आगामी दिनों में देखना होगा कि यह मुद्दा किस दिशा में जाता है और सरकार व मुस्लिम संगठनों के बीच किस प्रकार का संवाद होता है। सभी की निगाहें अब संसद में प्रस्तुत होने वाले इस संशोधन बिल पर टिकी हैं।
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