World Tiger Day: अवध के जंगलों में बाघों की बढ़ती संख्या, कतर्नियाघाट में 75 से अधिक बाघ

World Tiger Day: अवसर पर उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र के जंगलों में बाघों की दहाड़ सुनाई दे रही है। विशेष रूप से कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2018 में हुई गणना में यहाँ 29 बाघ थे, जबकि 2022 की गणना में यह संख्या बढ़कर 59 हो गई। यह वृद्धि लगभग दोगुनी है और यह संकेत देती है कि यह अभयारण्य बाघों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बन गया है।

कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य को 1975 में अभयारण्य का दर्जा मिला। यहाँ के हरे-भरे जंगल, दलदली भूमि, प्राकृतिक जल स्रोत और शिकार की पर्याप्त उपलब्धता ने जंगल के राजा बाघ का साम्राज्य समृद्ध कर दिया है। यह अभयारण्य नेपाल के बर्दिया नेशनल पार्क से सटा हुआ है, और गेरुआ व कौड़ियाला नदियों के साथ-साथ यहाँ के 30 तालाबों में बाघों को प्राकृतिक जल आसानी से मिल जाता है। इन सुविधाओं के कारण यहाँ बाघों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। वन विभाग के अनुसार, जल्द ही यहाँ बाघों की संख्या 80 हो जाएगी, जिससे यह प्रदेश का सबसे अधिक बाघों वाला अभयारण्य बन जाएगा।

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World Tiger Day: बाघों की निगरानी और संरक्षण के लिए यहाँ 300 नाइट विजन कैमरे लगाए गए हैं, जो 551 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभयारण्य के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। इन कैमरों की मदद से शिकारियों की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है, जिससे शिकार के मामले लगभग समाप्त हो गए हैं। यह तकनीकी पहल बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

हालांकि, बाघों की बढ़ती संख्या के कारण जंगल का क्षेत्रफल छोटा पड़ने लगा है। सेवानिवृत्त वनाधिकारी आनंद कुमार बताते हैं कि एक नर बाघ के विचरण के लिए औसतन 10 से 12 वर्ग किलोमीटर जंगल की आवश्यकता होती है, और एक नर बाघ के क्षेत्र में एक से तीन बाघिन रह सकती हैं। वर्तमान में, 59 बाघों के विचरण के लिए लगभग 708 वर्ग किलोमीटर जंगल की आवश्यकता है, जबकि जंगल का दायरा केवल 551 वर्ग किलोमीटर ही है।

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संरक्षण के प्रयासों के बावजूद, कतर्नियाघाट में चार बाघों की मौत भी हुई है। नौ अक्टूबर 2021 को चौधरी चरण सिंह गिरिजा बैराज पर एक बाघ का शव मिला था। 24 मई 2022 को रेंज कार्यालय के पास झाड़ियों में बाघ का शव मिला था। 30 सितंबर 2023 को ग्राम बर्दिया के पास जंगल के किनारे खेत में घायल बाघ ने दम तोड़ दिया था। 14 जनवरी 2024 को चौधरी चरण सिंह गिरिजा बैराज में एक बाघिन का शव मिला था। इन घटनाओं ने संरक्षण के प्रयासों पर सवाल उठाए हैं और वन विभाग को अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता बताई है।

World Tiger Day: अवध क्षेत्र में बाघों की बढ़ती संख्या एक सकारात्मक संकेत है, जो बाघों के संरक्षण और उनके आवास को सुरक्षित रखने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सफलता को दर्शाता है। विश्व बाघ दिवस के अवसर पर, यह महत्वपूर्ण है कि हम बाघों के संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाएं और उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करने के प्रयासों में सक्रिय योगदान दें।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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