उत्तर प्रदेश के आगरा में एक बड़ी कार्रवाई के तहत 56 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है। इन पुलिसकर्मियों पर पासपोर्ट वेरीफिकेशन के दौरान रिश्वत मांगने और साइबर क्रिमिनल्स से मिलीभगत के गंभीर आरोप लगे हैं। इस कार्रवाई ने पुलिस विभाग में हड़कंप मचा दिया है और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश भेजा है।
सूत्रों के अनुसार, ये पुलिसकर्मी पासपोर्ट वेरीफिकेशन के लिए रिश्वत मांगते थे और साइबर क्रिमिनल्स के साथ मिलकर गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल थे। कई शिकायतें मिलने के बाद, एक विस्तृत जांच की गई, जिसमें इन पुलिसकर्मियों की संलिप्तता पाई गई।
इस मामले की जांच के दौरान पाया गया कि ये पुलिसकर्मी पासपोर्ट वेरीफिकेशन प्रक्रिया में रिश्वत लेकर लोगों के दस्तावेजों को मंजूरी देते थे। इसके अलावा, इन पर आरोप है कि वे साइबर अपराधियों के साथ मिलकर काम कर रहे थे, जिससे अपराधियों को लाभ मिल रहा था।
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए पुलिस के उच्च अधिकारी ने कहा, “यह एक गंभीर मामला है और हम भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाते हैं। जिन पुलिसकर्मियों पर आरोप सिद्ध हुए हैं, उन्हें तुरंत सस्पेंड कर दिया गया है और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
आगरा के एसएसपी ने कहा, “हम किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे। इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और हम सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हों।”
इस कार्रवाई के बाद, पुलिस विभाग ने पासपोर्ट वेरीफिकेशन प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और सख्त बनाने के लिए कदम उठाए हैं। जनता से अपील की गई है कि वे किसी भी प्रकार की रिश्वतखोरी की जानकारी तुरंत पुलिस को दें ताकि समय रहते उचित कार्रवाई की जा सके।
इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने में पारदर्शिता और ईमानदारी की कितनी जरूरत है। इस कार्रवाई से पुलिस विभाग में सुधार की उम्मीद की जा रही है और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में इसे एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।