कांवड़ यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाली दुकानों पर मालिकों के नाम लिखने के मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश पर अब राजनीति भी गर्मा गई है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस आदेश पर सवाल उठाए हैं और इसे सामाजिक अपराध करार देते हुए न्यायालय से मामले का संज्ञान लेकर कार्रवाई करने की अपील की है।
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर लिखा, “… और जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? माननीय न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जांच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे । ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं ।”
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बीजेपी का आरोप नाम छिपाने की ट्रेनिंग दे रहे अखिलेश
अखिलेश यादव के इस पोस्ट पर बीजेपी प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन द्वारा कांवड़ यात्रा को शांतिपूर्वक संपन्न कराने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसी के तहत यह निर्देश दिया गया है कि कांवड़ यात्रा के रास्ते में पड़ने वाली दुकानों के मालिक अपना नाम लिखें ताकि श्रद्धालुओं को कोई भ्रम न हो। इसमें आपत्ति की क्या बात है? क्या इस आदेश में सिर्फ मुसलमानों को ही अपना नाम लिखने के लिए कहा गया है? अखिलेश यादव नाम छिपाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं। पहले भी उन्होंने ऐसा किया है और एक बार फिर वे नाम छिपाकर अपराध करने की ट्रेनिंग देने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, मुजफ्फरनगर पुलिस ने एक आदेश जारी किया है कि कांवड़ यात्रा के मार्ग पर स्थित सभी दुकानों के मालिक अपने नाम लिखें, ताकि किसी प्रकार का भ्रम न हो और कांवड़ यात्रा के दौरान कोई अप्रिय घटना न घटे। इस आदेश को लेकर अब राजनीति शुरू हो गई है।