Uttar Pradesh News: प्रयागराज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मान्तरण के आरोपी को बड़ा झटका देते हुए उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान धर्म प्रचार की अनुमति देता है, न कि धर्मान्तरण कराने की। यह निर्णय जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच द्वारा सुनाया गया। कोर्ट ने religious conversion कराने के मामले को गंभीर अपराध माना और सख्ती से निपटने की आवश्यकता पर बल दिया।
Background of the Case
Uttar Pradesh News: धर्मान्तरण के आरोपी श्रीनिवास राव नायक और अन्य के खिलाफ़ आंध्र प्रदेश में महराजगंज के निचलौल थाने में एफआईआर दर्ज है। आरोप है कि इन लोगों ने गरीब हिंदुओं को प्रलोभन देकर ईसाई धर्म में परिवर्तन कराया। 15 फरवरी 2024 को संबंधित थाना क्षेत्र में religious conversion से जुड़ा आयोजन हुआ था, जिसमें बड़ी संख्या में गरीब हिंदुओं को बुलाया गया था और उनका धर्म परिवर्तन कराया गया था।
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Court’s Observation and Decision
याचिकाकर्ता ने खुद को निर्दोष बताते हुए जमानत की गुहार लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने साक्ष्य और परिस्थितियों को देखते हुए याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने टिप्पणी की कि धर्मांतरण के मामलों में सख्ती से निपटना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी प्रकार का प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन न कराया जाए।
Significance of the Judgment
हाईकोर्ट का यह फैसला धर्मान्तरण के मामलों में एक महत्वपूर्ण नजीर के रूप में देखा जा रहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धर्म प्रचार और धर्मान्तरण में फर्क है और संविधान केवल धर्म प्रचार की अनुमति देता है।
Legal Implications and Enforcement
धर्म परिवर्तन कराने के मामलों में सख्ती से निपटने की जरूरत है ताकि समाज में धार्मिक सौहार्द बना रहे। यह निर्णय निचलौल थाने में दर्ज एफआईआर के आलोक में लिया गया है, जिसमें श्रीनिवास राव नायक पर गरीब हिंदुओं को प्रलोभन देकर ईसाई धर्म में परिवर्तन कराने का आरोप है।
Court ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी।
Community and Legal Reactions
इस फैसले के बाद समुदाय और कानूनी विशेषज्ञों ने हाईकोर्ट के फैसले की सराहना की है। उनका मानना है कि इस प्रकार के सख्त निर्णय से समाज में धार्मिक सौहार्द और कानून का पालन सुनिश्चित होगा।