Rae Bareli: उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में एक गंभीर और पेचीदा मामला सामने आया है, जिसमें बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता देने के षड्यंत्र की जानकारी मिल रही है। पुलिस और जांच एजेंसियों की रिपोर्टों के अनुसार, सलोन इलाके में लगभग 20,000 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाए गए हैं, जिनका उपयोग अवैध घुसपैठियों को नागरिकता दिलाने के लिए किया जा रहा था।
फर्जी प्रमाणपत्रों का षड्यंत्र:
रायबरेली के जन सेवा केंद्र (सीएससी) संचालक जीशान खान, सुहेल, और रियाज के खिलाफ यह खुलासा हुआ है कि इन लोगों ने बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता दिलाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए। इस षड्यंत्र के जरिए वे मोटी कमाई कर रहे थे, जिसके चलते उन्होंने रायबरेली और लखनऊ में प्रॉपर्टी भी बनाई है। पुलिस के अनुसार, जीशान खान के पास रायबरेली और लखनऊ में अच्छी प्रॉपर्टी है, जो उनकी अवैध कमाई की ओर इशारा करती है।
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अन्य राज्यों से जुड़े तार:
इस मामले की जांच में यह भी पता चला है कि इस षड्यंत्र के तार कर्नाटक, केरल और मुंबई से जुड़े हुए हैं। सूत्रों के अनुसार, फर्जी प्रमाणपत्रों के इस नेटवर्क में इन राज्यों से भी लोग शामिल हो सकते हैं, जिससे यह मामला और भी जटिल हो गया है।
जांच का दायरा बढ़ा:
बाराबंकी जिले का भी इस मामले में नाम सामने आया है, जहां पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) सक्रिय रहा है। 2022 में पीएफआई के कोषाध्यक्ष नदीम और सदस्य कमरुद्दीन की गिरफ्तारी हुई थी। इसके अलावा, 2023 में पीएफआई के एक सक्रिय सदस्य की गिरफ्तारी भी गौराहार से की गई थी। इस मामले के तार नेपाल के सीमावर्ती जिलों से भी जुड़े होने की संभावना है, जिसके चलते जांच का दायरा अवध क्षेत्र के गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती और बहराइच तक बढ़ सकता है।
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नैतिक और कानूनी परिप्रेक्ष्य:
इस प्रकार के फर्जी प्रमाणपत्रों का निर्माण और उपयोग कानूनी और नैतिक दृष्टि से गंभीर अपराध है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक ताने-बाने को खतरे में डालता है। पुलिस और जांच एजेंसियों ने इस मामले की गहराई से जांच शुरू कर दी है और संबंधित आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
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