Lucknow: बीबीडी यूनिवर्सिटी के सामने एक अनियंत्रित ट्रक ने चार लोगों को रौंद दिया, जिससे एक दर्दनाक हादसा हुआ। इस हादसे में 8 माह की गर्भवती महिला, उसके पति और दो मासूम बच्चों की मौत हो गई। यह हादसा बीबीडी थाना क्षेत्र में हुआ, जहां बाराबंकी के जैतपुर निवासी एक पूरा परिवार सड़क किनारे झोपड़ी बनाकर रह रहा था।
हादसे का विवरण
35 वर्षीय उमेश, उनकी 32 वर्षीय पत्नी नीलम देवी, और उनके दो बच्चे, 4 वर्षीय गोलू और 13 वर्षीय सनी, इस हादसे में मारे गए। परिवार टाइल्स कारीगर का था और वे सड़क किनारे झोपड़ी में रह रहे थे। घटना के वक्त सभी झोपड़ी में सो रहे थे।
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घटनास्थल पर चश्मदीद की गवाही
हम घटनास्थल पर पहुंचे और एक चश्मदीद, रामनाथ, से बात की। रामनाथ ने बताया, “रात के करीब 2 बजे का समय था जब हमने एक तेज आवाज सुनी। जब हम बाहर निकले, तो देखा कि ट्रक ने झोपड़ी को रौंद दिया था। हम तुरंत मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक उमेश, नीलम और उनके बच्चे गोलू और सनी की मौत हो चुकी थी। उनकी बेटी वैष्णवी बाल-बाल बच गई, लेकिन वह बेहद डरी हुई थी।”
परिवार से बातचीत
हमने पीड़ित परिवार के रिश्तेदार, रामलाल, से भी बात की। रामलाल ने कहा, “हमारा पूरा परिवार इस हादसे से तबाह हो गया है। उमेश और नीलम बहुत ही मेहनती थे। वे अपने बच्चों के लिए एक बेहतर भविष्य बनाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन इस हादसे ने सब कुछ खत्म कर दिया।”
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पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। हादसे के जिम्मेदार मौरंग लदा ट्रक के चालक और एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।
घटना के बाद का माहौल
इस हादसे के बाद स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा है। गुस्साए लोगों ने सड़क जाम कर दिया और प्रशासन से न्याय की मांग की। पुलिस ने भीड़ को शांत करने की कोशिश की और उन्हें आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
निष्कर्ष
Lucknow: बीबीडी यूनिवर्सिटी के सामने हुए इस दर्दनाक हादसे ने एक पूरा परिवार तबाह कर दिया। गर्भवती महिला, उसके पति और दो बच्चों की मौत ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। प्रशासन को इस घटना से सबक लेते हुए सड़कों पर सुरक्षा बढ़ाने और ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके।
इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा किया है कि कब तक हमारे देश की सड़कों पर लोग अपनी जान जोखिम में डालकर सफर करते रहेंगे। प्रशासन और समाज को मिलकर इस दिशा में गंभीर प्रयास करने की जरूरत है ताकि हमारी सड़कों को सुरक्षित बनाया जा सके।
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