Lucknow News: भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने दलित और ओबीसी नेताओं के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में हार की समीक्षा करते हुए नेताओं ने आउटसोर्सिंग की नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। दलित और ओबीसी नेताओं ने हार की एक बड़ी वजह आउटसोर्सिंग में आरक्षण का ना होना बताया।
बैठक में योगी सरकार के मंत्री असीम अरुण, गुलाब देवी और प्रदेश महामंत्री प्रियंका रावत ने हिस्सा लिया। सभी नेताओं ने एक सुर में यह बात राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को बताई कि आउटसोर्सिंग में आरक्षण नहीं होने को दलित और ओबीसी समुदाय ने आरक्षण खत्म होने की दिशा में एक बड़ा कदम माना है। नेताओं का कहना है कि यह मुद्दा दलितों के बीच घर कर गया और उन्हें लगा कि सरकार इस बहाने आरक्षण को समाप्त कर रही है।
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Lucknow News: बैठक में नेताओं ने बताया कि आउटसोर्सिंग की नौकरियों में आरक्षण ना होने से दलित और ओबीसी समुदाय के बीच असंतोष बढ़ा है। उनका कहना है कि यह स्थिति पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हुई है और चुनाव में हार का एक बड़ा कारण बनी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर इस मुद्दे को हल नहीं किया गया तो आने वाले चुनावों में पार्टी को और भी ज्यादा नुकसान हो सकता है।
मंत्री असीम अरुण ने कहा, “आउटसोर्सिंग में आरक्षण न होने से दलित और ओबीसी समुदाय के लोगों के बीच निराशा फैली है। उन्हें लगता है कि सरकार आरक्षण के बहाने उनके अधिकारों को छीन रही है।” गुलाब देवी ने भी इस बात को दोहराते हुए कहा, “यह मुद्दा बहुत गंभीर है और इसे जल्द से जल्द हल करने की आवश्यकता है।”
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Lucknow News: प्रदेश महामंत्री प्रियंका रावत ने कहा, “हमारे समुदाय के लोगों ने महसूस किया कि सरकार उनकी चिंताओं को नजरअंदाज कर रही है। यह हमारी पार्टी के लिए एक गंभीर समस्या है जिसे तुरंत सुलझाया जाना चाहिए।”
बैठक के अंत में बीएल संतोष ने नेताओं की बातों को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि इस मुद्दे पर पार्टी उच्चस्तरीय चर्चा करेगी और समाधान निकालने की पूरी कोशिश करेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी दलित और ओबीसी समुदाय के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।
Lucknow News: यह बैठक आगामी चुनावों के मद्देनजर भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकती है कि वह दलित और ओबीसी समुदाय की समस्याओं को हल करने के लिए तत्पर है। पार्टी के इस कदम से दलित और ओबीसी समुदाय के बीच विश्वास बहाल करने में मदद मिल सकती है।
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