Farrukhabad में नलकूप विभाग में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आया है, जहां बिना काम किए फर्जी कर्मचारियों के नाम से सात महीनों में 16.71 लाख रुपये का वेतन जारी कर दिया गया। यह मामला तब उजागर हुआ जब जांच में पाया गया कि नवंबर 2021 से जून 2022 तक नलकूप विभाग में पांच फर्जी कर्मचारियों के नाम से वेतन बिल तैयार किए गए और जालसाजी कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया।
Farrukhabad: वेतन घोटाले की जांच शुरू
घोटाले की जानकारी मिलते ही जिलाधिकारी ने तत्काल प्रभाव से एक कमेटी बनाई, जिसने जांच शुरू कर दी है। अधीक्षण अभियंता नलकूप मंडल धर्मेंद्र कुमार के नेतृत्व में टीम ने खंड कार्यालय फतेहगढ़ पहुंचकर अभिलेखों की गहन जांच की। इस टीम में वरिष्ठ कोषाधिकारी मनोज कुमार यादव और अधिशासी अभियंता सूर्यमणि सिंह भी शामिल थे।
फर्जी कर्मचारियों के नाम से भुगतान
यह खुलासा हुआ कि वरिष्ठ सहायक मनोज कुमार ने फर्जी कर्मचारियों के नाम पर वेतन बिल बनाए और इस प्रक्रिया में 16.71 लाख रुपये का घोटाला किया। जब मामला सामने आया, तो विभागीय जांच के बाद मनोज कुमार को निलंबित कर दिया गया और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बाद में जुलाई 2022 में उसे उच्च न्यायालय से जमानत पर रिहा कर दिया गया, लेकिन वह अब भी निलंबित है और कन्नौज नलकूप खंड कार्यालय में संबद्ध है।
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रिकवरी और जांच प्रक्रिया
अब तक मनोज कुमार से 11 लाख रुपये की रिकवरी की जा चुकी है, जबकि बाकी रकम की वसूली अभी बाकी है। घोटाले के वर्ष में तैनात रहे अधिकारियों और कर्मचारियों से भी जवाब मांगा गया है। अधीक्षण अभियंता धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि जांच दो माह में पूरी कर रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी।
डीएम के आदेश पर कड़ी कार्रवाई
जिलाधिकारी के आदेश के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच प्रक्रिया तेज कर दी गई है। फर्जी कर्मचारियों और वेतन भुगतान से जुड़े सभी दस्तावेजों की जांच हो रही है, और घोटाले से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।