Hathras के मूल कारणों और लापरवाहियों को उजागर करते हुए एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। इस रिपोर्ट के आधार पर शासन ने आधा दर्जन अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। हालांकि, इस कार्रवाई ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
एसआईटी की रिपोर्ट ने हादसे के पीछे की लापरवाहियों और प्रशासनिक खामियों को उजागर किया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह लापरवाही सिर्फ निचले स्तर के अधिकारियों और कर्मचारियों की थी, या फिर वरिष्ठ अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया गया है? रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि निचले स्तर के अधिकारियों ने एक-एक बात पत्राचार और मौखिक तौर पर वरिष्ठों को बताई थी, लेकिन उनके स्तर से कोई संज्ञान नहीं लिया गया।
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Hathras कार्रवाई पर सवाल
यह देखा गया है कि शासन द्वारा निलंबित किए गए अधिकारी और कर्मचारी निचले स्तर के हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वरिष्ठ अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया गया है? यह भी संभव है कि वरिष्ठ अधिकारियों की लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैया इस हादसे का एक बड़ा कारण रहा हो।
Hathras पत्राचार और मौखिक संज्ञान
एसआईटी की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि निचले स्तर के अधिकारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों को समय-समय पर घटनाओं और संभावित खतरों की जानकारी दी थी। इसके बावजूद, वरिष्ठ अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे यह हादसा हुआ। यह साफ है कि लापरवाही सिर्फ निचले स्तर पर नहीं थी, बल्कि उच्च स्तर पर भी अनदेखी और गैर-जिम्मेदाराना रवैया था।
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Hathras प्रशासन की प्रतिक्रिया
शासन ने एसआईटी की रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए निचले स्तर के आधा दर्जन अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। लेकिन अभी तक वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। यह देखना बाकी है कि शासन इस मामले में और क्या कदम उठाता है और वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करता है या नहीं।
Hathras निष्कर्ष
हाथरस हादसे ने प्रशासनिक खामियों और लापरवाहियों को उजागर किया है। एसआईटी की रिपोर्ट ने स्पष्ट किया है कि लापरवाही सिर्फ निचले स्तर पर नहीं थी, बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों का भी इसमें हाथ था। ऐसे में आवश्यक है कि शासन इस मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे, चाहे वे किसी भी स्तर के अधिकारी क्यों न हों।
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