नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के आध्यात्मिक संसार से कहीं ज्यादा रहस्यमयी आर्थिक साम्राज्य है। पांच जिलों में विभिन्न भव्य आश्रम स्थापित हैं, जिनकी जमीन की कीमत करोड़ों रुपये है। इन आश्रमों और उनके ट्रस्ट के नाम पर अनेक बड़ी और महंगी संपत्तियां हैं।
कासगंज, मैनपुरी, आगरा, कानपुर, और ग्वालियर में कई महत्वपूर्ण आश्रम स्थित हैं। इन आश्रमों की संपत्ति की मूल्य 100 करोड़ रुपये से भी अधिक हो सकती है। मैनपुरी के बिछवां आश्रम की जमीन की कीमत लगभग चार करोड़ रुपये है। वहाँ के सूत्रों के अनुसार, सेवादार विनोद ने इस जमीन को बाबा भोले के ट्रस्ट को दान में दे दिया। अब राजस्व विभाग इस जमीन की जांच कर रहा है।
यहां हमारे व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें
इसके अलावा, आश्रम के सामने करीब 50 बीघे की जमीन भी बाबा भोले ने लीज पर ले रखी है। बिछवां में आठ साल पहले इसी जमीन पर करोड़ों की लागत से एक भव्य आश्रम बनाया गया था। इस आश्रम में कई लग्जरी गाड़ियां खड़ी हैं और बाबा भोले अपने आलीशान कमरे में बसते हैं, जो आश्रम के सबसे भीतरी परिसर में स्थित है।
बहादुर नगर का आश्रम लगभग चालीस बीघे क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां कई धर्मशालाएं भी स्थापित की गई हैं। लगभग एक साल पहले, बाबा भोले ट्रस्ट ने इस जगह पर भूमि खरीदी थी। वे इस आश्रम में अब से बारह साल से निवास कर रहे हैं। आश्रम में एक आलीशान इमारत भी बनाई गई है, जिसके गेट पर ताला लगा हुआ है और चार गार्ड इसकी सुरक्षा में लगे हैं। जब एनडीटीवी ने प्रताप सिंह नाम के गार्ड से पूछा कि इस इमारत में क्या है जो इतनी सुरक्षा की जा रही है, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसके अंदर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, क्योंकि इस पर लंबे समय से ताला लगा हुआ है और किसी को अंदर जाने की इजाजत नहीं है। बाबा भोले का आर्थिक साम्राज्य उसके आध्यात्मिक संसार से कहीं ज्यादा रहस्यमयी और आलीशान है।
इसके अलावा, श्री नारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर सैकड़ों बीघा जमीन खरीदने की बात सामने आई है। इसके साथ ही यह भी पता चला है कि भोले बाबा के भक्तों के नाम पर करीब एक दर्जन लग्जरी गाड़ियां भी खरीदी गई हैं।
भोले बाबा कैसे बना मालामाल?
करीब 40 बीघे क्षेत्र में फैले नारायण साकार हरि धाम बहादुर नगर में पहुंचने पर एक बोर्ड लगा है जिसमें बताया गया है कि यहां पर वीडियोग्राफी मना है। साथ ही, इसमें लिखा है कि नारायण साकार हरि धाम किसी भी प्रकार का धन, दौलत, चंदा चढ़ावा नहीं लेता है, लेकिन खाने के और यज्ञ के दान के लिए प्रयत्नशील है। करीब चालीस बीघे क्षेत्र में फैले इस आलीशान आश्रम की हर दीवार पर चंदा देने वालों के नामों का उल्लेख मिलेगा। बाबा भोले ने 2007 से भक्तों से सीमेंट से लेकर ईंट, गाड़ियां और आश्रम का निर्माण के लिए नगद पैसा चंदे के तौर पर लेना शुरू किया था। और आज वह सौ करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति के मालिक बन चुके हैं।