Jhansi: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दावों की हकीकत जानने के लिए झांसी के मदरसे का रियलिटी चेक किया गया। इस रियलिटी चेक में पाया गया कि मदरसे में सरस्वती वंदना नहीं करवाई जा रही है और न ही ऐसा कोई शासन से आदेश आया है। झांसी का मदरसा इस्लामिया जामा मस्जिद सरांय में नियमित तौर पर सुबह सबसे पहले दुआ होती है, फिर राष्ट्रगान और उसके बाद पढ़ाई शुरू होती है।
मदरसे का संचालन और शिक्षा
मदरसा इस्लामिया जामा मस्जिद सरांय में कुल 293 छात्र-छात्राओं का नाम दर्ज है, लेकिन प्रतिदिन लगभग 170 बच्चे पढ़ने आते हैं। यहां कक्षा एक से आठ तक के बच्चों की कक्षाएं लगती हैं। मदरसे के शिक्षक हाफिज निजामउलहक सिद्दीकी ने बताया कि वे सरकारी आदेशों का पालन करते हैं और जो सिलेबस सरकार से मिला है, वही पढ़ाया जाता है। इसमें उर्दू, अरबी, हिंदी और इंग्लिश शामिल हैं।
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प्रार्थना और राष्ट्रगान
मदरसे में हर दिन की शुरुआत दुआ से होती है, जिसके बाद राष्ट्रगान होता है और फिर पढ़ाई शुरू होती है। मदरसे के प्रभारी प्रधानाचार्य कशिम अहमद ने बताया कि यहां सरस्वती वंदना नहीं होती है और न ही इसके लिए कोई आदेश आया है। उनके अनुसार, “हमारे मदरसे में कक्षा एक से आलिया तक की कक्षाएं संचालित होती हैं। प्राइमरी और जूनियर के छात्राओं की कक्षाएं लगती हैं और एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई करवाई जाती है।”
शासन के निर्देशों का पालन
मदरसे के प्रभारी प्रधानाचार्य कशिम अहमद ने बताया कि वे शासन के निर्देशों का पालन करते हैं और वही पढ़ाते हैं जो सिलेबस में होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरस्वती वंदना के लिए कोई आदेश नहीं आया है और वे केवल दुआ और राष्ट्रगान के बाद पढ़ाई शुरू करते हैं।
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निष्कर्ष
Jhansi के मदरसे का रियलिटी चेक यह दर्शाता है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दावों के विपरीत, मदरसे में सरस्वती वंदना नहीं करवाई जा रही है। मदरसा इस्लामिया जामा मस्जिद सरांय में दुआ और राष्ट्रगान के बाद ही पढ़ाई शुरू होती है। यहां के शिक्षक और प्रधानाचार्य शासन के निर्देशों का पालन करते हैं और सिलेबस के अनुसार बच्चों को पढ़ाते हैं।
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