Kanpur Accidents के एक मोहल्ले में पांच लोगों की मौत ने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया। जहां कल तक दशहरे और दिवाली की खुशियां दिख रही थीं, वहीं सोमवार को हर आंख नम थी। किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि जो बच्चे सुबह हंसते-खेलते घर से निकले थे, अब उन्हीं के शव वापस आ रहे थे।
भौंती एलिवेटेड हाईवे पर हादसे ने छोड़ा गहरा जख्म
कानपुर में भौंती एलिवेटेड हाईवे पर हुए हादसे ने पांच परिवारों को जीवन भर का गहरा जख्म दे दिया। इस हादसे में किसी ने होनहार बेटी को खो दिया, तो किसी के परिवार का इकलौता चिराग बुझ गया। माता-पिता और भाई-बहनों के सपने एक पल में चकनाचूर हो गए। इस हादसे ने किसी परिवार के अरमानों को चकनाचूर कर दिया और किसी को जीवन भर का गम दे दिया।
यहां हमारे व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें
ड्योढ़ी घाट पर पांचों का अंतिम संस्कार
मंगलवार सुबह पांचों का अंतिम संस्कार एक साथ ड्योढ़ी घाट पर किया गया। जब घरों से पांचों की अर्थी उठी, तो दिल दहला देने वाला मंजर था। हर तरफ दर्द भरी चीखें सुनाई दे रही थीं। प्रतीक, गरिमा, और सतीश का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। गरिमा का अंतिम संस्कार दादा के बेटे हर्ष ने किया, प्रतीक का अंतिम संस्कार चाचा के बेटे शिवम सिंह ने, और सतीश का अंतिम संस्कार बड़े भाई नीतीश ने किया।
पिता की बेबसी और मां का दर्द
पिता राजेश सिंह ने जैसे ही बेटे प्रतीक का शव उठते देखा, वे बेहोश होकर गिर पड़े। पड़ोसी और रिश्तेदारों ने उन्हें संभाला। भारी कदमों से पिता अपने बेटे की अर्थी को कांधा देते दिखे। उन्हें अपने लाड़ले बेटे के बिछड़ने का विश्वास ही नहीं हो रहा था।
देर रात तक जिन आंखों में आंसू सूख से गए थे, मंगलवार सुबह बेटी के शव को देखकर मां रीता त्रिपाठी की आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। अर्थी उठते ही मां बदहवास होकर दौड़ पड़ी। छोटी बेटी और अन्य महिलाओं ने उन्हें संभाला। मां-बेटी दोनों गले लगकर रोती रहीं।
आयुषी के अंतिम संस्कार का मर्मस्पर्शी दृश्य
आयुषी की अर्थी उठते ही मां शव से लिपटकर रोने लगीं। वे बार-बार कह रही थीं, “एक बार आंखें खोल दो बेटा।” पिता दूर बैठकर बेटी के शव को निहारते रहे। बेटी का शव उठते ही उनके मुंह से अपनी किस्मत और भगवान को कोसने वाले शब्द निकल पड़े।
ड्राइवर विजय साहू के परिवार का दर्द
ड्राइवर विजय साहू की पत्नी की रुआंसी आवाजें चीखों में बदल गईं, जिन्हें सुनकर सभी का दिल कांप उठा। करवा चौथ से हफ्ते भर पहले ही सुहाग उजड़ जाने से पत्नी सुमन बदहवास हो गईं। वहीं, दोनों बेटे हिमांशु और शशांक को परिवार के अन्य लोग सहारा दे रहे थे। यह दृश्य देख सभी की आंखों में आंसू छलक पड़े।
दीपावली से पहले बुझ गए चार घरों के दीपक
एक ही मोहल्ले से पांच लोगों की मौत ने सभी को स्तब्ध कर दिया। जहां कल तक दशहरे और दिवाली की खुशियां नजर आ रही थीं, वहीं सोमवार को हर आंख नम थी। किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि जो बच्चे सुबह हंसते-खेलते घर से निकले थे, अब उन्हीं के शव वापस लौट रहे हैं। हर किसी की जुबान पर यही चर्चा थी कि दीपावली से पहले ही चार घरों के दीपक बुझ गए।