Kanpur से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक दारोगा समेत चार पुलिसकर्मियों ने नाबालिग लड़के का अपहरण कर लिया और उसे छोड़ने के बदले में परिवार से 50 हजार रुपये की मांग की। जब पैसे नहीं मिले, तो उन्होंने नाबालिग को झूठे मुकदमे में फंसा कर जेल भेज दिया।
Kanpur: पीड़ित मां की न्याय की गुहार
पीड़ित महिला, जो कि कानपुर के चकेरी के काजीखेड़ा इलाके की रहने वाली है, ने अपने नाबालिग बेटे के अपहरण, झूठे आरोप में फंसाने और प्रताड़ित करने के आरोप में पुलिस के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
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घटना का विवरण
सोनी नामक महिला ने बताया कि आठ साल पहले उनके पति की मौत हो गई थी और वह अपने नाबालिग बेटे के साथ रहती हैं। 14 मई को चकेरी थाने के चार पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में आए और उसके बेटे को घर के बाहर से अपहरण कर लिया। जब सोनी थाने पहुंची तो पुलिसकर्मियों ने 50 हजार रुपये की मांग की। बेटे को बचाने के लिए सोनी ने जिला प्रोबेशन अधिकारी से लेकर 1098 तक संपर्क किया, लेकिन कोई राहत नहीं मिली।
Kanpur पुलिस की प्रताड़ना और कोर्ट का आदेश
सोनी ने पुलिस कमिश्नर कार्यालय में भी शिकायत की, लेकिन उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके विपरीत, पुलिसकर्मियों ने नाराज होकर उसके बेटे को झूठे मामले में फंसा दिया और शस्त्र अधिनियम की धारा में एफआईआर दर्ज कर दी। इस पर सोनी ने सीजेएम सूरज मिश्रा की कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसके आदेश पर पुलिस ने दारोगा पंकज कुमार मिश्रा, सिपाही गौरव यादव और दो अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ अपहरण, रंगदारी, गालीगलौज, मारपीट और धमकाने की धाराओं में केस दर्ज किया है।
Kanpur डीसीपी का बयान
इस मामले में डीसीपी ईस्ट श्रवण कुमार का कहना है कि पीड़ित महिला का आपराधिक इतिहास रहा है और यह कार्रवाई गांजा तस्करों पर कार्रवाई के दौरान की गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज की गई है और मामले की जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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