UP News: कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग में बाघों (Tigers) की संख्या तेजी से बढ़ रही है और मौजूदा समय में यहां 59 बाघ और 20 से अधिक शावक हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, 2026 तक यह संख्या 80 तक पहुंचने की उम्मीद है, जो इस क्षेत्र को प्रदेश में सबसे अधिक बाघों वाला जंगल बना देगी।
बाघों की संख्या में तेजी से वृद्धि
वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018 में की गई गणना में यहां 29 बाघ थे। जबकि 2022 की गणना में यह संख्या बढ़कर 59 हो गई। लखीमपुर खीरी जिले के दुधवा नेशनल पार्क में 35, किशुनपुर सेंचुरी में 41 और सबसे अधिक 75 बाघ पीलीभीत टाइगर रिजर्व में मिले थे।
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UP News: वन विभाग की योजनाएं
कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ बी शिव शंकर ने बताया कि आगामी वर्ष 2026 तक यहां 80 बाघ सक्रिय हो सकते हैं और इनके शावक भी चहलकदमी करेंगे। इसके लिए वन विभाग ने प्रदेश और केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजकर और व्यवस्थाएं बढ़ाने की मांग की है, जिससे बाघों की सुरक्षा और देखरेख के लिए उचित प्रबंध किए जा सकें।
बाघों के लिए आदर्श स्थान
कतर्नियाघाट को वर्ष 1975 में अभ्यारण्य का दर्जा मिला था और तब से यहां (Tigers) के संरक्षण के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। यह जंगल नेपाल के बर्दिया नेशनल पार्क से सटा हुआ है और यहां गेरूआ व कौड़ियाला नदियों के साथ करीब दो दर्जन से अधिक तालाब हैं, जहां बाघों को प्राकृतिक जल मिलता है। इसके अलावा, जंगल में हिरन, नीलगाय, जंगली सुअर आदि जानवरों की भी बड़ी संख्या है, जो बाघों के शिकार के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराते हैं।
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UP News: वन्यजीव प्रेमियों के लिए खुशखबरी
कतर्नियाघाट में बाघों की संख्या में तेजी से वृद्धि वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। हरा-भरा जंगल और नदियों का किनारा होने के चलते यह बाघों के प्राकृतिक वास के लिए उपयुक्त स्थान है। यही कारण है कि यहां बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग में बाघों की बढ़ती संख्या ने इस क्षेत्र को वन्यजीव संरक्षण के मामले में एक महत्वपूर्ण स्थान बना दिया है। वन विभाग के निरंतर प्रयासों और उचित प्रबंधन से यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बन जाएगा।
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