Kushinagar: फिल्म “कागज़” में पंकज त्रिपाठी के किरदार ने जिस तरह से खुद को जिंदा साबित करने के लिए संघर्ष किया था, कुछ वैसा ही मामला कुशीनगर जिले के एक गांव से सामने आया है। यहां एक 69 वर्षीय बुजुर्ग जगदीश को सरकारी कागजों में मृत घोषित कर दिया गया, जबकि वह हकीकत में जिंदा हैं। यह घटना खड्डा विकासखंड के ग्राम सभा सोहरौना की है, जहां गांव के सचिव ने जगदीश को कागजों में मृत घोषित कर दिया और उनकी पेंशन भी बंद कर दी गई।
सरकारी गलती और बुजुर्ग का संघर्ष
सरकारी सिस्टम की इस गलती ने बुजुर्ग जगदीश को बार-बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने पर मजबूर कर दिया। हाथों में कागजात लिए, वह अधिकारियों से अपनी पेंशन बहाल करवाने के लिए कह रहे हैं। “मैं जिंदा हूं साहब, मेरा पेंशन क्यों बंद कर दिया?” यह सवाल उन्होंने कई बार अधिकारियों से पूछा, लेकिन उन्हें बस ठोस जवाब नहीं मिला। सरकारी कागजों में मृत घोषित किए जाने के बाद अब वह अपने जिंदा होने का सबूत दे रहे हैं।
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जांच टीम की कार्रवाई
जब यह गलती अधिकारियों के सामने आई, तो आनन-फानन में एक जांच टीम का गठन किया गया और गांव में भेजा गया। खंड विकास अधिकारी विनीत यादव की निगरानी में जांच शुरू हुई, लेकिन जैसे ही सच्चाई सामने आई, उनके चेहरे की हवाई उड़ गई। सचिव धर्मेंद्र यादव, जिन्होंने जगदीश को मृत घोषित किया था, उनसे जब सवाल पूछा गया, तो वे भी कोई उचित जवाब नहीं दे पाए।
सिस्टम की लापरवाही
यह मामला सरकारी सिस्टम की उस बड़ी लापरवाही को उजागर करता है, जिसमें जिंदा लोगों को कागजों में मृत घोषित कर दिया जाता है। इस गलती के चलते बुजुर्गों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है। जगदीश जैसे कई बुजुर्ग इस सिस्टम के शिकार हो रहे हैं, जिन्हें अपनी जिंदा होने की सच्चाई को साबित करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।