Mahakumbh 2025 के अवसर पर उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा महाकुंभ मेला क्षेत्र में 30 भव्य द्वारों का निर्माण किया जाएगा। इन द्वारों का निर्माण महाकुंभ मेला को और भी भव्य और आकर्षक बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। ये द्वार विभिन्न धार्मिक और पौराणिक प्रतीकों को समर्पित होंगे, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेंगे।
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भव्य द्वारों के नाम
महाकुंभ मेला क्षेत्र में बनने वाले इन 30 भव्य द्वारों के नाम इस प्रकार हैं:

- महाकुंभ लोगो द्वार
- त्रिशूल द्वार
- स्वास्तिक द्वार
- डमरू द्वार
- शंख द्वार
- महाकुंभ 2025 द्वार
- सूर्य द्वार
- देव दल द्वार
- कमल द्वार
- गदा द्वार
- धनुष द्वार
- गंगा द्वार
- कौस्तुभ द्वार
- कामधेनु द्वार
- लक्ष्मी द्वार
- ओम द्वार
- नंदी द्वार
- संगम द्वार
- नाग वासुकी द्वार
- शिवलिंग द्वार
- चंद्र द्वार
- कलश द्वार
- सुदर्शन चक्र द्वार
- 14 रत्न कथा द्वार
- ऐरावत द्वार
- कच्छप द्वार
- कल्पवृक्ष द्वार
- समुद्र मंथन द्वार
- रुद्राक्ष द्वार
- अश्व द्वार
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महाकुंभ मेला का महत्व
महाकुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है, जो हर 12 साल में एक बार प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते हैं, जो गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में पवित्र स्नान करने के लिए आते हैं। महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
पर्यटन विभाग की पहल
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की यह पहल महाकुंभ मेला को और भी भव्य और सुव्यवस्थित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन द्वारों के निर्माण से न केवल मेला क्षेत्र का सौंदर्य बढ़ेगा, बल्कि यह श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए दिशानिर्देशों और स्थानों की पहचान में भी सहायक होंगे।
महाकुंभ 2025 के अवसर पर उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा किए जा रहे ये प्रयास महाकुंभ मेले को और भी विशेष और यादगार बनाने में सहायक होंगे। ये 30 भव्य द्वार न केवल धार्मिक और पौराणिक महत्व को दर्शाएंगे, बल्कि मेला क्षेत्र को और भी आकर्षक बनाएंगे। श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए यह एक अद्वितीय अनुभव होगा, जहां वे भारतीय संस्कृति और धरोहर का साक्षात्कार कर सकेंगे।
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