Mathura: जाको राखे साइयां मार सके न कोय, यह कहावत मथुरा के वृंदावन की रहने वाली 8 साल की बच्ची गौरी पर सटीक बैठती है। गौरी ने एक खौफनाक ट्रेन हादसे के बाद न केवल अपनी जान बचाई, बल्कि परिवार को भी राहत की सांस दी। जिस तरह से हादसा हुआ, उसमें उसके बचने की उम्मीदें लगभग समाप्त हो गई थीं, लेकिन गौरी ने मौत को मात दे दी।
Mathura: टीकमगढ़ से मथुरा लौटते वक्त हुआ हादसा
वृंदावन के ब्रह्मकुंड क्षेत्र में रहने वाले अरविंद तिवारी अपनी पत्नी अंजलि, बेटी गौरी (8 साल) और बेटे मृदुल (5 साल) के साथ टीकमगढ़ स्थित अपने पैतृक गांव में नवरात्रि उत्सव मनाने गए थे। अष्टमी की पूजा के बाद, वे गीता जयंती एक्सप्रेस से मथुरा लौट रहे थे। ट्रेन में S3 कोच में उनका रिजर्वेशन था। अरविंद और परिवार ने यात्रा के दौरान मस्ती की, खाना खाया, और फिर सोने की तैयारी करने लगे। इसी दौरान, बच्चे खिड़की के पास बैठे खेल रहे थे।
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अचानक ट्रेन से गायब हो गई गौरी
रात करीब 10 बजे जब अरविंद बेटे मृदुल को मां के पास सुलाने गए, तभी गौरी अचानक गायब हो गई। ट्रेन करीब 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही थी। बेटी को ट्रेन में न पाकर अरविंद ने चैन पुलिंग कर ट्रेन को रुकवाया। उन्हें बाद में एहसास हुआ कि गौरी इमरजेंसी खिड़की से गिर गई थी। लेकिन तब तक ट्रेन हादसे वाली जगह से 5-6 किलोमीटर आगे बढ़ चुकी थी।
जंगल में रेलवे ट्रैक के किनारे मिली घायल गौरी
अरविंद ने तुरंत जीआरपी और पुलिस को सूचना दी। पुलिस के सहयोग से जंगल में रेलवे ट्रैक के किनारे घायल गौरी को खोजा गया। गौरी को मामूली चोटें आई थीं और उसके पैर में फ्रेक्चर था।
2 घंटे तक जंगल में पड़ी रही गौरी
गौरी ने बाद में बताया कि ट्रेन के मोड़ के दौरान अचानक तेज हवा के कारण वह खिड़की से बाहर गिर गई थी। चोट के कारण वह खड़ी नहीं हो सकी और लगभग 2 घंटे तक वहीं पड़ी रही। फिलहाल गौरी का इलाज चल रहा है और वह सुरक्षित है।