Ghaziabad के Muradnagar से हरिद्वार तक अपार गंग नहर के किनारे नहर कावड़ पटरी मार्ग पर 7.30 मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण जारी है, लेकिन इस परियोजना को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस सड़क निर्माण के लिए 33,000 पेड़ों की कटाई की योजना बनाई गई थी, जिसमें से लगभग 17,450 पेड़ों की कटाई पहले ही की जा चुकी है। यह मामला अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष पहुंच चुका है, जिसने इस पर सख्त आपत्ति जताई है।
एनजीटी ने संबंधित एजेंसी से पेड़ों की इस अंधाधुंध कटाई के बारे में जवाब मांगा है और इस पर तुरंत कार्रवाई का निर्देश दिया है। पेड़ों की कटाई को लेकर स्थानीय लोगों ने भी गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि पेड़ों की इस तरह की भारी कटाई से क्षेत्र का जैविक संतुलन गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है।
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Muradnagar के नहर कावड़ पटरी मार्ग पर स्थानीय लोग एक असमंजस की स्थिति में हैं। जहां एक ओर सड़क निर्माण से क्षेत्र के विकास की उम्मीदें बंधी हैं, वहीं दूसरी ओर इतने बड़े पैमाने पर हो रही पेड़ों की कटाई से पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को लेकर लोग चिंतित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क बनने से यातायात सुविधाओं में सुधार होगा और क्षेत्र का आर्थिक विकास संभव होगा, लेकिन इसके लिए पर्यावरण को जो नुकसान हो रहा है, वह चिंता का विषय है।
एनजीटी के इस मुद्दे पर संज्ञान लेने के बाद, अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई जारी रहेगी या फिर पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जाएगी। एनजीटी के फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हैं, क्योंकि यह फैसला न केवल इस परियोजना बल्कि भविष्य में होने वाले अन्य विकास कार्यों के लिए भी एक मिसाल बनेगा।