Kanpur: आज, दिनांक 19.7.2024 को अपर सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र पाल सिंह ने पास्को एक्ट के तहत धीरज कुमार सोनकर को 20 वर्ष की सजा और ₹5000 अर्थदंड की सजा सुनाई। यह सजा धीरज कुमार सोनकर द्वारा क्षेत्र की 6 साल की मासूम बच्ची से दुष्कर्म के अपराध में सुनाई गई। विशेष लोक अभियोजक चंद्रकांत शर्मा के अथक प्रयासों से यह सजा दिलाई गई है।
घटना का विवरण
घटना कानपुर नगर के महाराजपुर थाना क्षेत्र की है, जहां धीरज कुमार सोनकर ने 6 साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। इस घिनौने अपराध ने स्थानीय समाज को झकझोर कर रख दिया और मामले ने त्वरित कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने अभियुक्त को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया और मामले को अदालत में पेश किया।
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कानूनी कार्यवाही
मामले की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र पाल सिंह की अदालत में हुई। विशेष लोक अभियोजक चंद्रकांत शर्मा ने अदालत में सभी साक्ष्यों और गवाहों को प्रस्तुत किया और अभियुक्त के खिलाफ ठोस मामला बनाया। उनके अथक प्रयासों और साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने धीरज कुमार सोनकर को दोषी करार दिया और उसे 20 वर्ष की सजा और ₹5000 का अर्थदंड सुनाया।
न्यायाधीश का निर्णय
अपर सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र पाल सिंह ने अपने निर्णय में कहा कि इस प्रकार के जघन्य अपराध समाज में असहनीय हैं और ऐसे अपराधियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि समाज में एक संदेश जाए और इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। न्यायाधीश ने अभियोजन पक्ष के प्रयासों की सराहना की और साक्ष्यों के आधार पर सजा सुनाई।
विशेष लोक अभियोजक की भूमिका
विशेष लोक अभियोजक चंद्रकांत शर्मा ने इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने सभी साक्ष्यों को अदालत में प्रस्तुत किया और अभियुक्त के खिलाफ ठोस मामला बनाया। उनके अथक प्रयासों के कारण ही धीरज कुमार सोनकर को सजा दिलाई जा सकी। चंद्रकांत शर्मा ने कहा, “यह सजा पीड़िता और उसके परिवार के लिए न्याय का प्रतीक है और समाज में एक संदेश है कि अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा।”
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समाज की प्रतिक्रिया
इस सजा के बाद स्थानीय समाज में संतोष और राहत की भावना है। स्थानीय निवासियों ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि इस प्रकार की सजा अपराधियों को एक कड़ा संदेश देगी। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह सजा न्याय की जीत है और हमें विश्वास है कि इस प्रकार की घटनाओं में कमी आएगी।”
निष्कर्ष
Kanpur: पास्को एक्ट के तहत धीरज कुमार सोनकर को 20 वर्ष की सजा और ₹5000 का अर्थदंड सुनाए जाने से यह स्पष्ट है कि न्याय प्रणाली ऐसे जघन्य अपराधों के खिलाफ सख्त है। विशेष लोक अभियोजक चंद्रकांत शर्मा के प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया कि पीड़िता और उसके परिवार को न्याय मिले।
इस सजा ने समाज में एक मजबूत संदेश दिया है कि अपराधियों को उनके अपराधों के लिए सख्त सजा मिलेगी और न्याय की प्रक्रिया में कोई समझौता नहीं होगा। न्याय की यह जीत समाज को सुरक्षित और संरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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