Prayagraj: निलंबित होमगार्ड कमांडेंट मनीष दूबे की याचिका पर हाईकोर्ट ने मांगी जानकारी

Prayagraj: महोबा के निलंबित होमगार्ड कमांडेंट मनीष दूबे ने अपने निलंबन आदेश को रद्द करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। ज्योति मौर्य विवाद के बाद चर्चा में आए मनीष दूबे पर विभाग की छवि धूमिल करने, मनमानी और अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाही बरतने का आरोप है।

मामले का विवरण:

मनीष दूबे ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपने निलंबन आदेश को रद्द करने की गुहार लगाई है। जस्टिस जेजे मुनीर की सिंगल बेंच ने मनीष दूबे की याचिका पर सुनवाई की और महानिदेशक होमगार्ड से पूरे प्रकरण की जानकारी तलब की है। अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।

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प्रकरण की पृष्ठभूमि:

मनीष दूबे पर आरोप है कि उन्होंने विभाग की छवि को धूमिल किया, अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाही बरती और मनमानी की। ज्योति मौर्य विवाद के बाद मनीष दूबे पर कार्रवाई की गई थी। ज्योति मौर्य के पति आलोक मौर्य ने मनीष दूबे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने मनीष दूबे पर ज्योति मौर्य के साथ संबंध और भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया था। आलोक मौर्य की शिकायत पर ही होमगार्ड विभाग ने मनीष दूबे को निलंबित किया था।

हाईकोर्ट की कार्रवाई:

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मनीष दूबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए महानिदेशक होमगार्ड से मामले की पूरी जानकारी मांगी है। न्यायालय ने निर्देश दिया है कि सभी आवश्यक दस्तावेज और विवरण प्रस्तुत किए जाएं ताकि मामले की पूरी सच्चाई सामने आ सके।

विभागीय दृष्टिकोण:

होमगार्ड विभाग ने मनीष दूबे को निलंबित करने के फैसले का बचाव किया है। विभाग के अनुसार, मनीष दूबे ने अपने पद का दुरुपयोग किया और विभाग की छवि को नुकसान पहुंचाया। विभाग का कहना है कि उनके खिलाफ उठाए गए कदम उचित थे और उन्होंने अपने कर्तव्यों का सही तरीके से पालन नहीं किया।

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आगे की राह:

अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी, जिसमें महानिदेशक होमगार्ड की रिपोर्ट और अन्य संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किए जाएंगे। इस सुनवाई में यह स्पष्ट हो सकता है कि मनीष दूबे का निलंबन रद्द किया जाएगा या नहीं।

समाज पर प्रभाव:

यह मामला न केवल होमगार्ड विभाग की छवि को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकारी अधिकारियों को अपने कर्तव्यों के प्रति कितनी जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए। इस प्रकार के मामलों से सरकारी अधिकारियों की साख और जनता का विश्वास प्रभावित होता है।

निष्कर्ष:

Prayagraj में मनीष दूबे की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महानिदेशक होमगार्ड से जानकारी तलब की है। यह मामला एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और अगली सुनवाई में इसके भविष्य का निर्णय हो सकता है। जनता और विभाग के लिए यह आवश्यक है कि सच्चाई सामने आए और न्याय हो। इस प्रकार के मामलों से सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और जिम्मेदारी को बढ़ावा मिलता है।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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