Kanpur शहर के सरसौल स्थित अखरी गांव में जन्मे कृष्णप्रिय राधारानी के भक्त, संत प्रेमानंद ने छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (CSJMU) द्वारा दी जाने वाली मानद उपाधि को सम्मानपूर्वक लौटा दिया है। विवि का 39वां दीक्षांत समारोह 28 सितंबर को आयोजित होना है,जिसमें संत प्रेमानंद को यह उपाधि प्रदान की जानी थी।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अनिल यादव, वृंदावन स्थित श्री हित राधा केली कुंज आश्रम में संत से मिलने पहुंचे थे, जहां उन्होंने यह प्रस्ताव दिया। हालांकि, संत प्रेमानंद ने इसे स्वीकार करने से मना कर दिया।
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संत प्रेमानंद ने स्पष्ट किया कि उन्होंने संन्यास ही इसीलिए लिया है कि सभी लौकिक उपाधियों को त्यागकर भगवान की भक्ति में लीन रहें। उन्होंने कहा, “हम भगवान के दासत्व में हैं और दासत्व की उपाधि के आगे अन्य सारी उपाधियां छोटी हैं। बाहरी उपाधि से सम्मान नहीं, बल्कि उपहास होगा, क्योंकि यह लौकिक उपाधि हमारी अलौकिक उपाधि में बाधा बनती है।”
सोशल मीडिया पर इस घटनाक्रम का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें संत प्रेमानंद ने अपनी भक्ति को सर्वोच्च उपाधि बताया।
इसके अतिरिक्त, जब विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने कर्मियों की गलतियों पर संत की राय मांगी, तो संत ने कहा, अपराधी को एक बार क्षमा किया जा सकता है, पर बार-बार मौका देना अपराध की संभावना बढ़ा सकता है। इसलिए दंडित करना आवश्यक है।”