Ayodhya के राम मंदिर में इन दिनों भक्तों द्वारा रामलला को भारी मात्रा में सोना और चांदी अर्पित किया जा रहा है। इस दान के हिसाब-किताब को सुचारू रूप से रखने के लिए ट्रस्ट द्वारा दो व्यक्तियों की नियुक्ति की गई है। ये कार्यकर्ता संघ के सदस्य हैं, जो आभूषण दान करने वाले भक्तों का नाम, पता और मोबाइल नंबर नोट करते हैं।
दान की प्रक्रिया और निगरानी
अलग-अलग शिफ्ट में कार्यरत इन कार्यकर्ताओं का मुख्य काम पूरे दिन का हिसाब रखना होता है। ये कार्यकर्ता दान की गई आभूषणों की संख्या और मात्रा को रिकॉर्ड करते हैं और फिर उन्हें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के लॉकर में जमा कराते हैं। इसके अलावा, कुछ भक्त रामलला के दान काउंटर में नगदी अर्पित करते हैं, जिसका हिसाब भी ये कार्यकर्ता रखते हैं।
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आभूषणों की सुरक्षा और रखवाली
रामलला के निजी आभूषणों की सुरक्षा के लिए सेना के रिटायर्ड धर्मगुरु को नियुक्त किया गया है। हर सुबह और शाम जब रामलला का श्रृंगार किया जाता है, तब पुजारी धर्मगुरु की निगरानी में आभूषणों को लॉकर से निकालते हैं और रामलला को पहनाते हैं। रात में शयन के समय आभूषणों को उतारकर उनकी गणना की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए छह अंगरक्षकों को नियुक्त किया गया है, जो आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्ट में दो-दो गनर के साथ रामलला की सुरक्षा करते हैं।
सेना के रिटायर्ड जवानों की सेवा
राम मंदिर में रामलला की सेवा में सेना के रिटायर्ड 20 जवानों को भी लगाया गया है। इनमें से तीन जवान धर्मगुरु पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, जिनकी ड्यूटी गर्भगृह के बाहर लगाई गई है। धर्मगुरुओं को रामलला की पूजा-अर्चना के अलावा दर्शनार्थियों पर निगाह रखने की जिम्मेदारी भी दी गई है। वे आरती-पूजा के समय व्यवस्था में सहयोग करते हैं और घंटे-घड़ियाल बजाने व आरती दिखाने में मदद करते हैं।
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सुरक्षा और निगरानी की कड़ी व्यवस्था
बाकी 17 सेवानिवृत्त सैनिकों को परिसर में सादी वर्दी में तैनात किया गया है, जो श्रद्धालुओं और व्यवस्थाओं की निगरानी करते हैं। रामलला की सुरक्षा के लिए की गई इन व्यवस्थाओं का मुख्य उद्देश्य मंदिर में आने वाले भक्तों को सुरक्षित और शांति से दर्शन करने का अवसर प्रदान करना है।
राम मंदिर में भक्तों द्वारा अर्पित की जा रही सोना-चांदी की भारी मात्रा और इसके प्रबंधन की इस व्यवस्था ने प्रशासनिक सतर्कता और धार्मिक समर्पण का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस व्यवस्था से न केवल मंदिर की संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि भक्तों का विश्वास भी बढ़ता है कि उनके द्वारा अर्पित दान सही तरीके से उपयोग हो रहा है।
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