उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक लावारिस बच्चे को लेकर हुए विवाद ने प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बीजेपी विधायक ने दावा किया है कि उन्होंने जिले के डीपीओ (जिला प्रोबेशन अधिकारी) को 25 बार फोन किया, लेकिन न तो फोन उठाया गया और न ही कॉल बैक किया गया। इस मामले ने अब डीएम और कमिश्नर तक पहुंच गया है।
बीजेपी विधायक ने कहा कि उन्हें एक लावारिस बच्चे के बारे में सूचना मिली थी और उन्होंने तत्काल मदद के लिए डीपीओ को कई बार फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। विधायक ने कहा, “मैंने डीपीओ को 25 बार फोन किया, लेकिन उन्होंने न तो फोन उठाया और न ही मुझे वापस कॉल किया। इस मामले में तत्काल मदद की जरूरत थी, लेकिन प्रशासन की लापरवाही से बच्चा अनदेखा रह गया।”
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए विधायक ने डीएम और कमिश्नर को भी इस बारे में सूचित किया। डीएम और कमिश्नर ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं और डीपीओ से स्पष्टीकरण मांगा है।
विधायक ने यह भी कहा कि लावारिस बच्चों की देखभाल और सुरक्षा प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है और इस प्रकार की लापरवाही अक्षम्य है। उन्होंने मांग की कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
डीएम ने कहा, “हम इस मामले की जांच कर रहे हैं और जल्द ही पूरी जानकारी सामने लाएंगे। लावारिस बच्चों की देखभाल हमारी प्राथमिकता है और इसमें कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
इस घटना ने स्थानीय निवासियों में भी आक्रोश पैदा कर दिया है। लोगों ने प्रशासन से लावारिस बच्चों की सुरक्षा और देखभाल के लिए उचित कदम उठाने की मांग की है।
इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है और उम्मीद है कि इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही न हो।