Rampur: MP-MLA कोर्ट ने भाजपा (BJP) के पूर्व विधायक काशीराम दिवाकर (Kashiram Diwakar) समेत आधे दर्जन लोगों को 7 साल की सजा (7 Years Sentence) सुनाई है। यह सजा शाहबाद के करीमगंज राणा चीनी मिल (Karimganj Rana Sugar Mill) में तोड़फोड़ (Vandalism) करने के 13 साल पुराने मामले में सुनाई गई है। कल सभी दोषियों को कोर्ट कस्टडी (Court Custody) में लेने के बाद जेल भेज दिया गया था। आज कोर्ट ने सभी दोषियों को दोषी करार देते हुए 7 साल की सजा सुनाई।
कोर्ट का फैसला
Rampur: कोर्ट ने 5 पुरुष और एक महिला संजू यादव (Sanju Yadav) को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323 (Section 323), 395 (Section 395), 427 (Section 427), 504 (Section 504), और 506 (Section 506) के तहत दोषी करार दिया। इस फैसले के बाद सभी दोषियों को जेल भेज दिया गया है। यह निर्णय न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Process) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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घटना का पृष्ठभूमि
Rampur: 13 साल पहले शाहबाद के करीमगंज राणा चीनी मिल में तोड़फोड़ की घटना घटी थी, जिसमें 38 नामजद (Named) और 200 अज्ञात (Unidentified) लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इस मामले में MP-MLA कोर्ट ने अपनी जांच और सुनवाई पूरी करने के बाद 21 लोगों को बरी (Acquitted) कर दिया, जबकि काशीराम दिवाकर समेत 6 लोगों को दोषी पाया।
Rampur: मामले का निर्णय और सजा
Rampur: कोर्ट ने दोषियों को 7 साल की सजा सुनाते हुए स्पष्ट किया कि कानून के उल्लंघन (Violation of Law) को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कोर्ट का यह फैसला न्यायिक प्रणाली (Judicial System) में लोगों का विश्वास बढ़ाने का काम करेगा। इस सजा के साथ ही कोर्ट ने यह संदेश दिया है कि कानून का पालन सभी के लिए अनिवार्य है और किसी भी प्रकार की हिंसा (Violence) या तोड़फोड़ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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सीमा राणा की बाइट
Rampur: सीमा राणा (Seema Rana), ADGC रामपुर ने बताया कि “कोर्ट ने काशीराम दिवाकर समेत सभी दोषियों को दोषी करार दिया और उन्हें 7 साल की सजा सुनाई है। यह निर्णय न्याय के हित में लिया गया है। यह फैसला न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे स्पष्ट होता है कि किसी भी प्रकार की गैर-कानूनी गतिविधियों (Illegal Activities) को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
Rampur: निष्कर्ष
Rampur: MP-MLA कोर्ट का यह फैसला न्यायिक प्रणाली में विश्वास को मजबूत करता है। इससे यह संदेश जाता है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और अपराध करने वालों को सजा मिलनी ही चाहिए। न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता (Transparency) और निष्पक्षता (Impartiality) को बनाए रखने के लिए ऐसे फैसले महत्वपूर्ण होते हैं।
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