Sambhal के सरकारी प्राथमिक स्कूल के औचक निरीक्षण के लिए पहुंचे डीएम डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने शिक्षकों की क्लास लगाई। डीएम के टेस्ट में प्राथमिक स्कूल के गुरुजन फेल निकले।
डीएम का औचक निरीक्षण
संभल के विकास खंड शरीफपुर गांव के कंपोजिट प्राथमिक स्कूल का मामला है। डीएम डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने अचानक स्कूल का निरीक्षण किया और शिक्षकों की उपस्थिति और पढ़ाई की गुणवत्ता का जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान, डीएम ने एक शिक्षक का मोबाइल फोन चेक किया और पाया कि वह शिक्षक मोबाइल फोन पर कैंडी क्रश गेम खेल रहे थे।
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Sambhal: शिक्षक का निलंबन
डीएम के आदेश पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सहायक अध्यापक प्रेम गोयल को निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई शिक्षकों की लापरवाही और बच्चों की पढ़ाई में रुचि न लेने के कारण की गई है।
कॉपियों में त्रुटियाँ
डीएम ने शिक्षकों द्वारा जांची गई छात्रों की कॉपियों को भी चेक किया। जांची गई कापियों में तमाम त्रुटियाँ पाई गईं। इस पर डीएम ने शिक्षकों को जमकर लताड़ लगाई और उन्हें अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से निभाने की चेतावनी दी।
Sambhal: डीएम का शिक्षकीय अनुभव
डॉ. राजेंद्र पेंसिया खुद भी शिक्षक रह चुके हैं और उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझते हुए शिक्षकों को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाया। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि वे बच्चों की पढ़ाई और उनके भविष्य को गंभीरता से लें और अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें।
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प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल
Sambhal: इस घटना ने सरकारी प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। डीएम का निरीक्षण यह दर्शाता है कि शिक्षकों की लापरवाही के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। यह महत्वपूर्ण है कि शिक्षकों को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास हो और वे अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से करें।
शिक्षा विभाग की सख्ती
Sambhal: इस घटना के बाद शिक्षा विभाग को और भी सख्ती बरतनी होगी। शिक्षकों की नियमित जांच और निरीक्षण किए जाने चाहिए ताकि बच्चों की पढ़ाई में किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो। शिक्षा विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी शिक्षक अपने काम को गंभीरता से लें और बच्चों की शिक्षा में सुधार लाएं।
समाप्ति
Sambhal: संभल में सरकारी प्राथमिक स्कूल में हुई इस घटना ने एक बार फिर से शिक्षा प्रणाली की खामियों को उजागर किया है। डीएम डॉ. राजेंद्र पेंसिया के इस सख्त कदम से उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में शिक्षकों की जिम्मेदारियों का एहसास होगा और वे अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से करेंगे।
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