सुल्तानपुर जिले की जनता ने गांधी परिवार के लिए एक बार फिर से एक बड़ा परिणाम प्रस्तुत किया है। पहली बार, जब वे अमेठी सीट से राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ी थीं, तब भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस बार फिर से सुल्तानपुर ने उनका दिल तोड़ दिया। अपने राजनीतिक जीवन में केवल तीन बार हारने वाली मेनका को सुल्तानपुर जिले से दो बार हारना पड़ा है। इस बार, भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी को सपा के रामभुआल निषाद ने 43,174 मतों से पराजित किया। रामभुआल निषाद को 4,44,330 मत मिले, जबकि मेनका गांधी को 4,01,156 मत प्राप्त हुए।
संजय मेनका गांधी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1984 में की थी। जब उन्हें कांग्रेस से टिकट न मिला, तो उन्होंने बगावती तेवर अपना लिया और अपने जेठ राजीव गांधी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतर पड़ी थीं। उस चुनाव में सुल्तानपुर जिले का हिस्सा रहने वाली अमेठी की जनता ने उन्हें नकार दिया।
उसके बाद, 1988 में उन्होंने जनता दल से जुड़ लिया और पीलीभीत को अपना राजनीतिक आधार बनाया। जनता दल के टिकट पर वे पहली बार पीलीभीत से सांसद बनीं, लेकिन इसके बाद, 1991 की रामलहर में उन्हें एक बार फिर से पराजय का सामना करना पड़ा। 1996 में उन्होंने फिर से पीलीभीत से चुनाव लड़ा और जीत गईं, और इसके बाद 2019 तक लगातार चुनाव जीतती रहीं।
उस अवधि में उन्होंने भाजपा का साथ दिया और निरंतर विजयी रहीं। जीत के इसी क्रम में, 2019 में सुल्तानपुर संसदीय सीट पर उन्होंने जीत दर्ज की, हालाँकि करीब 14 हजार वोटों की बढ़त ने उनकी जीत का स्वाद कुछ कम कर दिया था। इस बार, वो बड़ी जीत की उम्मीद कर रही थीं, लेकिन सुल्तानपुर की जनता ने उन्हें एक बार फिर झटका दे दिया।