Supreme Court ने बुलडोजर एक्शन के मामले में सख्त टिप्पणी की है। जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा है कि आपराधिक कानून के तहत किसी आरोपी के खिलाफ बुलडोजर एक्शन नहीं लिया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई दोषी ठहराया भी जाए, तो उसके खिलाफ बुलडोजर एक्शन लेना कानून के खिलाफ है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई घटनाओं का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है और आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने पर रोक लगाने की मांग की गई है।
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सुप्रीम कोर्ट में दलीलें
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुए बुलडोजर एक्शन का बचाव किया। कोर्ट ने सवाल किया कि यदि कोई आरोपी है, तो महज़ इस आधार पर बुलडोजर एक्शन कैसे लिया जा सकता है? सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि केवल म्यूनिसिपल कानून के तहत ही बुलडोजर एक्शन का प्रावधान है। कोर्ट ने इस पर जवाब देने के लिए समय मांगा और अगले सोमवार को मामले की सुनवाई तय की है।
बुलडोजर एक्शन की घटनाएं
मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हाल ही में बुलडोजर एक्शन की घटनाएं हुई हैं। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और बरेली में आरोपितों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया गया, जबकि राजस्थान के उदयपुर में आरोपित राशिद खान का घर गिरा दिया गया।
केंद्र और राज्यों को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों को नोटिस जारी किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि आरोपितों के खिलाफ वाजिब कानूनी कार्यवाही की बजाय उनके घरों को बुलडोजर से ढहाया जा रहा है, जो गैरकानूनी है।
सपा प्रमुख का आरोप
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यूपी के मैनपुरी में शहीद स्मारक स्थल पर बुलडोजर चलाने को लेकर योगी सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की सियासत अब शहीदों में भी भेदभाव करने लगी है।