Taj Mahal के मुख्य मकबरे पर अब पानी की बोतल नहीं ले जाने की अनुमति नहीं होगी। यह आदेश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) द्वारा तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। इस फैसले का कारण हाल ही में हिंदू महासभा के दो बार गंगाजल चढ़ाने के विवाद को बताया जा रहा है।
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आदेश का प्रभाव और ताजमहल पर नई व्यवस्था
वरिष्ठ संरक्षण सहायक प्रिंस वाजपेयी ने बताया कि ताजमहल के मुख्य गुंबद पर पर्यटक अब पानी की बोतलें नहीं ले जा सकेंगे। पर्यटकों को गुंबद पर ज्यादा समय नहीं लगता और वे नीचे चमेली फर्श पर आकर पानी ले सकते हैं। पर्यटकों की सुविधा के लिए एएसआई कर्मचारियों की टीम वहां मौजूद रहेगी, जो जरूरत पर पानी उपलब्ध कराएगी। इस फैसले का उद्देश्य मुख्य मकबरे की सुरक्षा और साफ-सफाई बनाए रखना है।
विरोध और चिंताएं
यूपी स्टेट गाइड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक दान ने एएसआई के इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि गर्मी और उमस के कारण ताजमहल पर हर दिन 20 से ज्यादा लोग बेहोश हो रहे हैं। चक्कर खाकर गिरने के कारण उन्हें डिस्पेंसरी भेजना पड़ रहा है। ऐसे में पानी की बोतल पर रोक का फैसला पर्यटकों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। दीपक दान ने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है और इसे पुनर्विचार की मांग की है।
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एएसआई और सीआईएसएफ का तर्क
एएसआई और सीआईएसएफ का तर्क है कि पानी की बोतलें मुख्य मकबरे की संरचना और सौंदर्य को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसके अलावा, हाल ही में हुए विवाद के बाद सुरक्षा और साफ-सफाई को बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए एएसआई कर्मचारियों की टीम को पानी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दी गई है।
ताजमहल के मुख्य मकबरे पर पानी की बोतल पर रोक का फैसला विवाद और सुरक्षा कारणों से लिया गया है। हालांकि, इस फैसले का पर्यटकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह समय के साथ स्पष्ट होगा। पर्यटकों और गाइडों को इस नई व्यवस्था के साथ सामंजस्य बिठाना होगा और प्रशासन को भी इस फैसले की प्रभावशीलता पर नजर रखनी होगी। इस बीच, पर्यटकों की सुविधा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाने की आवश्यकता होगी।
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