Uttar Pradesh Election: 10 सीटों पर होने वाले इन चुनावों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज होती जा रही है। इस बीच लखीमपुर खीरी में बीजेपी विधायक योगेश वर्मा के साथ हुए थप्पड़ कांड ने सियासी तापमान को और बढ़ा दिया है। बीजेपी अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई है और कार्रवाई भी शुरू कर दी है।
थप्पड़ कांड ने बढ़ाई राजनीतिक गर्मी
लखीमपुर खीरी में 9 अक्टूबर को अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक के चुनाव के दौरान बीजेपी विधायक योगेश वर्मा को अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अवधेश सिंह ने सरेआम थप्पड़ मारा और पिटाई कर दी। यह घटना पुलिस की मौजूदगी में हुई थी, और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया था। इसके बावजूद, शुरुआती दिनों में अवधेश सिंह के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया था।
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बीजेपी ने किया डैमेज कंट्रोल
बीजेपी ने स्थिति को संभालने के लिए पहले आरोपी अवधेश सिंह और उनकी पत्नी पुष्पा सिंह को पार्टी से बाहर कर दिया। इसके बाद मुकदमा भी दर्ज किया गया। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि इस थप्पड़ कांड ने कुर्मी समाज को नाराज कर दिया था और राजनीतिक माहौल में जातीय तनाव को जन्म दे दिया था। बीजेपी के लिए इस तनाव को कम करना जरूरी हो गया था, ताकि उपचुनाव में इसका नुकसान न हो।
जातीय संघर्ष का रूप लेता मामला
इस घटना के बाद लखीमपुर खीरी के व्यापारियों और कुर्मी समाज के लोगों ने प्रदर्शन किए। 11 अक्टूबर को कुर्मी समाज ने जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव किया। दूसरी तरफ, ठाकुर समाज और करणी सेना के लोग अवधेश सिंह के समर्थन में उतर आए। इससे यह घटना धीरे-धीरे जातीय संघर्ष का रूप लेती दिखी, और कुर्मी बनाम ठाकुर का माहौल बन गया।
उपचुनाव से पहले बीजेपी की चिंता
Uttar Pradesh Election: उपचुनाव के दौरान बीजेपी के लिए इस घटना का जातीय रंग लेना खतरे की घंटी साबित हो सकता था। इसलिए पार्टी ने जल्द एक्शन लेते हुए आरोपियों को बाहर का रास्ता दिखाया और मुकदमा दर्ज किया। सवाल यह है कि क्या यह कदम सिर्फ उपचुनाव की मजबूरी में उठाया गया या फिर पार्टी की साख बचाने के लिए? चुनावी मजबूरी में लिया गया यह एक्शन अब बीजेपी की सियासी रणनीति का हिस्सा बन चुका है।