UP में अब हर तीन महीने में बिजली उपभोक्ताओं का लोड मनमाने तरीके से नहीं बढ़ाया जा सकेगा। विद्युत नियामक आयोग की सुनवाई में यह निर्णय लिया गया कि लोड बढ़ाते समय एक साल की रिपोर्ट का अध्ययन करना आवश्यक होगा। विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस दौरान उपभोक्ताओं का पक्ष मजबूती से रखा।
सुनवाई के मुख्य निर्णय
- लोड बढ़ाने का नया नियम: अब बिजली उपभोक्ताओं का लोड हर तीन महीने की रिपोर्ट के आधार पर नहीं बढ़ाया जा सकेगा, बल्कि एक साल की रिपोर्ट के आधार पर ही लोड बढ़ाने का फैसला होगा।
- बिजली दरों में बढ़ोतरी से इंकार: आयोग ने बिजली दरें बढ़ाने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही तीन किलोवाट के उपभोक्ताओं को भी अब 3 फेज का कनेक्शन दिया जाएगा।
- पावर ट्रांसमिशन का टैरिफ घटाया गया: पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन का टैरिफ 12 प्रतिशत कम कर दिया गया है, जो पहले 26 पैसे था अब इसे 23 पैसे कर दिया गया है। नोएडा पावर कंपनी की दरें भी आगे 10 प्रतिशत कम रहेंगी।
- निगमों का घाटा खारिज: बिजली निगमों द्वारा दिखाए गए 11203 करोड़ के घाटे को आयोग ने खारिज कर दिया है। वहीं, यूपीएसएलडीसी का पहली बार 536 रुपये प्रति मेगावाट प्रतिमाह का एआरआर (Annual Revenue Requirement) भी मंजूर किया गया।
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विद्युत उपभोक्ता परिषद की मांग
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सुनवाई के दौरान बताया कि उपभोक्ताओं का 33122 करोड़ रुपये का सरप्लस निकल रहा है। उन्होंने अगले पांच वर्षों तक बिजली दरों में आठ प्रतिशत कमी की मांग की। हालांकि आयोग ने इस पर विचार नहीं किया, जिससे वर्मा ने आगे लड़ाई जारी रखने की घोषणा की।
अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्ती
नियामक आयोग ने नए टैरिफ लागू करते हुए विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी सख्ती बरती है। यदि अधिकारी और कर्मचारी मीटर लगाने में देरी करते हैं तो उनके खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी।
लाइन लॉस पर याचिका
UP: उपभोक्ता परिषद का आरोप है कि लाइन हानियों को वर्ष 2023-24 में 10.67 प्रतिशत से बढ़ाकर 2024-25 में 13.09 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे उपभोक्ताओं को लगभग दो हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस मुद्दे पर भी परिषद याचिका दाखिल करेगी।