UP सरकार ने पेपर लीक और सॉल्वर गैंग के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए एक नए विधेयक को विधानसभा में पास किया है। इस विधेयक के तहत पेपर लीक कराने या सॉल्वर गैंग से जुड़ने पर आजीवन कारावास की सजा और एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
विधेयक का विस्तार और सजा के प्रावधान
1. कर्मचारी भी दायरे में: इस विधेयक के दायरे में उन कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है, जो परीक्षा संबंधी कार्य के दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करने पर पेपर लीक की घटना के जिम्मेदार होंगे। ऐसे कर्मियों को सात साल तक की सजा और जुर्माना लगाया जा सकेगा।
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2. कंपनियों की जिम्मेदारी: परीक्षा संबंधी कार्य करने वाली कंपनियों को भी उत्तरदायी बनाते हुए दंडित करने का नियम बनाया गया है। इसके तहत, अगर कोई कंपनी परीक्षा के आयोजन में लापरवाही बरतती है और पेपर लीक होता है, तो कंपनी पर भी कार्रवाई की जाएगी।
3. संपत्तियों की जब्ती: पेपर लीक गिरोह और सॉल्वर गैंग के सदस्यों की संपत्तियों को भी जब्त किया जा सकेगा।
4. इलेक्ट्रॉनिक गेजेट्स का दुरुपयोग: अनुचित साधनों में कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक गेजेट्स के इस्तेमाल अथवा उनसे छेड़खानी को भी दायरे में लाया गया है। हालांकि, इसमें सुनवाई का अवसर दिया जाएगा।
5. फर्जी दस्तावेज: फर्जी प्रवेश पत्र अथवा ऑफर लेटर जारी करने पर भी सजा का प्रावधान किया गया है।
UP सरकार ने पेपर लीक और सॉल्वर गैंग के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए एक नए विधेयक को विधानसभा में पास किया है। इस विधेयक के तहत पेपर लीक कराने या सॉल्वर गैंग से जुड़ने पर आजीवन कारावास की सजा और एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
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विधेयक के तहत अपराध की श्रेणियाँ
इस अधिनियम के अधीन दंडनीय अपराध संज्ञेय, गैर-जमानतीय, अशमनीय और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होंगे। इसका मतलब है कि इन अपराधों में गिरफ्तारी और सजा के प्रावधान बहुत ही कड़े हैं और इन्हें सत्र न्यायालय में ही सुना जाएगा।
विधानसभा में विधेयक पारित
उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024, विधानसभा में ध्वनि मत से पास हो गया है। इस विधेयक का उद्देश्य परीक्षा प्रणाली को साफ-सुथरा बनाना और अनुचित साधनों का प्रयोग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना है।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए इस सख्त कदम से उम्मीद की जा रही है कि परीक्षा प्रणाली में सुधार होगा और पेपर लीक जैसी घटनाओं पर अंकुश लगेगा। इस विधेयक के पास होने से परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और छात्रों को एक सुरक्षित और निष्पक्ष वातावरण में परीक्षा देने का अवसर मिलेगा।
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