Kashi: विजयदशमी के पावन अवसर पर काशी विश्वनाथ मंदिर का अपना शास्त्र सम्मत प्रसादम भक्तों को उपलब्ध कराया जाएगा। इस प्रसादम को शनिवार से मंदिर परिसर में लगे स्टालों पर बिक्री के लिए रखा जाएगा। प्रसादम बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह से धार्मिक शास्त्रों के अनुसार की गई है, जिसमें चावल के आटे, चीनी और बाबा विश्वनाथ को चढ़ाए गए बेल पत्र के चूर्ण का उपयोग किया गया है।
शास्त्रों के अनुसार बना है प्रसादम
Kashi: प्रसादम बनाने के लिए विद्वानों की एक टीम ने पुराणों और शास्त्रों का गहन अध्ययन किया। भगवान शिव को चावल के आटे का भोग लगाने की परंपरा के तहत, चावल के आटे से प्रसादम तैयार किया गया है। बेल पत्र, जो भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है, उसे धुलकर और सुखाकर चूर्ण बनाया गया है, जिसे इस प्रसादम में मिलाया गया है।
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प्रसादम बनाने के सख्त नियम
Kashi: मंदिर प्रबंधन ने प्रसादम बनाने के लिए विशेष नियम तय किए हैं। केवल हिंदू कारीगर ही इस प्रसादम को बनाएंगे, और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रसादम बनाने से पहले कारीगरों को स्नान करना अनिवार्य होगा। इससे प्रसादम की शुद्धता सुनिश्चित होगी।
अमूल को मिली प्रसादम बनाने की जिम्मेदारी
प्रसादम बनाने की जिम्मेदारी अमूल कंपनी को सौंपी गई है। कंपनी ने मंदिर की शर्तों के अनुसार दस दिनों का प्रसादम तैयार कर लिया है। इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणीकरण संस्था से मंजूरी भी मिल चुकी है।
तिरुपति बालाजी की तरह शुद्ध प्रसादम
Kashi: इस कदम के साथ, काशी विश्वनाथ मंदिर भी तिरुपति बालाजी मंदिर की तरह अपने प्रसादम की गुणवत्ता सुनिश्चित कर रहा है। प्रसादम की शुद्धता और धार्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, इसे पूरी सावधानी और शास्त्र सम्मत तरीके से तैयार किया गया है।